देहरादून, 16 जुलाई (जनसमा)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में अंतर्राज्य परिषद की 11 वीं बैठक में प्रतिभाग करते प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील 400 से अधिक चिन्हित गांवों के विस्थापन व विगत दिनों भारी वर्षा, भूस्खलन की घटनाओं से राज्य में हुए व्यापक नुकसान की क्षतिपूर्ति में केंद्र सरकार से सहायता करने का अनुरोध किया।
फोटो : 16 जुलाई, 2016 को राष्ट्रपति भवन में अंतर-राज्य परिषद की 11वीं बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मुलाकात करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। साथ में दिख रहे हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत।
उन्होंने राज्य में डाॅप्लर राडार शीघ्र स्थापित किए जाने का भी आग्रह किया। योजना आयोग द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्याओं के निराकरण के लिए एकल इन्सटीट्यूशन स्थापित किये जाने की संस्तुति की गई हैं। इसी प्रकृति का संस्थागत फे्रमवर्क अन्य हिमालयन राज्यों के लिए भी आवश्यक है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य मे एक गुणवत्ता सम्वर्द्धन एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने में केंद्र सरकार आर्थिक सहयोग करे।
पुंछी आयोग की संस्तुतियों पर राज्य का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि संविधान में दी गई त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था जन आंकाक्षाओं एवं क्षेत्रीय विकास के अनुरूप है। इसलिए ग्राम व जिला स्तर पर द्विस्तरीय पंचायत व्यवस्था के लिए संविधान में संशोधन किये जाने की आयोग की संस्तुति से राज्य सहमत नहीं है। उत्तराखण्ड राज्य में साक्षरता का स्तर उच्च है, ऐसी स्थिति में पंचायतों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों हेतु पंचायतों के कार्य को समझनें एवं निष्पादन के लिए 05 वर्ष की अवधि पर्याप्त है। इसलिए राज्य सरकार पंचायतों में पदों और स्थानों में लगातार 02 कार्यकाल आरक्षण स्थिर रखे जाने के पक्ष में नहीं है।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में जिलाधिकारी जिला योजना समिति के पदेन सदस्य हैं। राज्य में स्थित जिलों का आकार छोटा है, जिसके फलस्वरूप जिलाधिकारी अपने कार्य के साथसाथ जिला योजना समिति के कार्य भलीभांति सम्पन्न कर रहें हैं। ऐसी स्थिति में पृथक से प्रशासनिक ढांचे के गठन की आवश्यकता नहीं है।
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