देहरादून, 28 जनवरी। बुधवार देर रात्री उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर अतिथि गृह में निम व एसडीआरएफ के उच्चाधिकारियों के साथ केदारनाथ महोत्सव सहित आपदा से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने अधिकारियों से वहाँ हो रहे कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को केदारनाथ के कपाट खुलने तक वहाँ की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने को कहा।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमें भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिये अभी से तैयार रहना चाहिए। एसडीआरएफ निम की सहायता से एक ऐसी फोर्स तैयार करे जो भीषण आपदा जैसी परिस्थितियों में राहत कार्य के लिये हमेशा तैयार रहे। इन्हें स्पेशियलाईज टास्क के लिये तैयार किया जाए।
उन्होंने आदेश दिये कि एसडीआरएफ की बाकी की यूनिटों को भी जल्दी ही बना लिया जाए साथ ही इसके लिए ट्रेनिंग माॅड्यूल तैयार किया जाएं। जिस प्रकार गढ़वाल क्षेत्र के लिए जौलीग्रांट में कम्पनी हैडक्वार्टर बनाया जा रहा है उसी तर्ज पर कुमाँयू क्षेत्र के लिए पंतनगर में एक कम्पनी हैडक्वार्टर तैयार किया जाए। इसके लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था की जाए। केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य में एसडीआरएफ सहित निम बेहद सराहनीय कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोई बड़ी आपदा आती है जिसमें राष्ट्रीय स्तर से मदद की आवश्यकता होती है तो भी वहाँ से सहायता मिलने में 48 से 72 घन्टे लग जाते हैं और दूर दराज तक तो 3 से 4 दिन लग जाते हैं। हमें इन 3-4 दिनों को अपने स्थानीय लोगों को ही इसके लिए एसडीआरएफ व अन्य तरीकों से आपदा से निपटने की ट्रेनिंग देकर तैयार करना चाहिए। इसके लिये दूरस्थ क्षेत्रों में इमरजेन्सी हैली पैड भी तैयार किए जाने चाहिए ताकि वहाँ जल्द से जल्द मदद पहुँचायी जा सके। दूरस्थ क्षेत्रों में सड़कें पहुँचाने के लिये 1-2 किलोमीटर की सड़कों के निर्माण का जिम्मा जिला पंचायत को दे दिया जाए।
बैठक के दौरान बताया गया कि राज्य में आपदा से लड़ने के लिए स्थानीय लोगों को इस प्रकार की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस प्रकार के आपदाओं के लिए जिलाधिकारियों को भी 20 लाख रूपये की राशि उपलब्ध करायी जा चुकी है साथ ही 2013 में आयी आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के लिए हैवी मशीनें व उपकरण उपलब्ध कराए जा चुके हैं। यदि और कोई रिक्वायरमेंट आती है तो उसे भी तुरंत उपलब्ध करा दिया जाएगा।
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