शिमला, 08 फरवरी। पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए आज का दिन ऐतिहासिक था। राज्य ने कौशल विकास क्षेत्र में विभिन्न औद्योगिक संगठनों एवं क्षेत्रीय कौशल परिषदों के साथ रिकार्ड 17 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौता ज्ञापन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की उपस्थिति में हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम और तीन राष्ट्रीय कौशल विकास निगमों सहित 17 औद्योगिक संगठनों के मध्य हस्ताक्षरित किए गए। ये क्षेत्रीय कौशल परिषदें 20 से अधिक केन्द्रीय मंत्रालयों तथा 50 बड़े औद्योगिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो मांग आधारित एवं गुणात्मक कौशल विकास में हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की सहभागी होंगी।
तकनीकी शिक्षा मंत्री जी.एस. बाली, उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश कौशल विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ भी किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के बेरोजगार युवाओं को मिशन मोड पर उपयुक्त उन्नयन के माध्यम से श्रम रोजगार एवं स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना है।
वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि विभिन्न औद्योगिक संगठनों तथा क्षेत्रीय कौशल परिषदों के साथ समझौता ज्ञापनों के हस्ताक्षरित होने से राज्य को कौशल उन्नयन, आंकलन एवं प्लेसमैंट मामलों को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रीय कौशल परिषदों ने राज्य से हजारों लोगों के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रशिक्षित युवाओं को प्लेसमेंट सुनिश्चित करने की मांग रखी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की स्थापना राज्य सरकार की एक बड़ी पहल है, जो विभिन्न विभागों द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे कौशल उन्नयन कार्यक्रम में डुप्लीकेशन कम करने तथा समन्वय व सहभागिता में सुधार लाने की दिशा में एक छत्र प्रदान करने में उपयोगी सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास भत्ता योजना की शुरूआत राज्य में कौशल विकास पहल का महत्वूपर्ण हिस्सा है। अधिक से अधिक युवाओं को इस योजना के दायरे के अंतगर्त लाने के लिए योजना को और अधिक उदार बनाया गया है। प्रदेश सरकार ने कौशल उन्नयन के लिए कर निधि का 20 प्रतिशत भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगारों के कौशल उन्नयन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे कामगार श्रेणी के बच्चों एवं आश्रितों को बड़ी संख्या में रोजगार के उपयुक्त अवसर प्राप्त होंगे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि यहां कृषि क्षेत्र आर्थिकी का प्रमुख आधार है और इसके मद्देनजर कृषि, बागवानी एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसरों के दोहन की आवश्यकता है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में सेवा क्षेत्र का भी तेजी से विस्तार हो रहा है जिसे देखते हुए युवाओं का आॅटो मोबाइल, निर्माण, गृह सेवाओं इत्यादि क्षेत्रों में कौशल विकास करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, पर्यटन एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार की संभावना है।
कौशल विकास और कौशल आधारित कार्यक्रमों पर राज्य सरकार की भावी योजनाओं की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मांग से सम्बन्धित सूचना, प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट अवसरों के लिए औद्योगिक संगठनों और क्षेत्रीय कौशल परिषदों के साथ बेहतर ताल-मेल को प्राथमिकता प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश अपनी कौशल विकास नीति भी अधिसूचित करेगा तथा विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीकी संस्थान खोला जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आॅटो मोबाइल, रिटेल, सुरक्षा, स्वास्थ्य चिकित्सा, पर्यटन और कृषि जैसे विभिन्न व्यवसायों में कौशल उन्नयन तथा विद्यार्थियों के लिए रोजगार क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से नवीं से बाहरवीं कक्षा तक और अधिक पाठशालाओं में व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। ये कोर्स पहले ही प्रदेश के 500 स्कूलों में आरम्भ किए गए हैं और आठ विभिन्न व्यावसायिक विषयों में 1-4 स्तर तक लगभग 35 हजार विद्यार्थियों का नामांकन किया गया है। उन्होंने कहा कि 200 व्यावसायिक प्रयोगशालाएं एवं कार्यशालाएं पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं, जबकि 600 और व्यावसायिक प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना करने पर विचार कर रही है, जो युवाओं के कौशल उन्नयन को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
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