शिमला, 20 जून (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में कौशल विकास गतिविधियों एवं कौशल अधोसंरचना को विकसित एवं सुदृढ़ करने के प्रयास कर रही है, ताकि उद्योगों की मांग के अनुरूप कुशल श्रमशक्ति उपलब्ध करवाई जा सके। इसके लिये, राज्य में कौशल विकास को बढ़ावा देनेके लिये एशियन विकास बैंक बाह्य सहायता की 640 करोड़ रुपये की एक परियोजना स्वीकृत की गई है।
राज्य सरकार द्वारा 15 से 45 वर्ष आयु वर्ग के बेरोज़गार युवाओं को सशक्त बनाने के लिये कौशल विकास नीति ‘हिम कौशल-2016’ को स्वीकृति प्रदान की गई है। यह नीति राज्य की आर्थिक उन्नति को मजबूत करने तथा राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कौशल की कमी को पूरा करने के लिये लक्षित समूहों के कौशल उन्ययन तथा रोज़गारके अवसर बढ़ाने पर बल देती है।
राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की भी स्थापना की है जो कौशल विकास नीति एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये एक क्रियान्वयन निकाय के रूप में कार्य करेगी। निगम राष्ट्रीय मानकों के समरूप योग्यताओं, मानदण्डों, प्रशिक्षण उपकरणों, राज्य के लिये मान्यताओं की एकरूपता को हासिल करने के प्रयास करेगा।
प्रशिक्षण राजकीय विभागों एवं संस्थानों, निजी क्षेत्र तथा उद्योगों व औद्योगिक संगठनों द्वारा प्रदान किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में चरणबद्ध तरीके से बहुउद्देशीय प्रशिक्षण एवं विपणन केन्द्र विकसित किए जाएंगे तथा इन्हें स्थानीय युवाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाएगा। ये केन्द्र एक-दूसरेके साथ हब एवं स्पोक मॉडल के तौर पर संचालित होंगे तथा इनकी निगरानी जिला कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से की जाएगी।
आईटीआई विद्यार्थियों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कालेजों में प्रवेश प्राप्त करने के लिये भारत सरकार के एनसीवीटी द्वारा प्रदान किए जा रहे राष्ट्रीय व्यवसाय तथा राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रमाणीकरण प्रमाण पत्र की योग्यता में जमादो स्तर तक समानता प्रदान की जाएगी।
विद्यार्थियों की रोज़गार क्षमता में सुधार लाने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से नौवीं से 12वीं कक्षा तक ऑटोमोबाईल, परचून, सुरक्षा, सूचना प्रोद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, र्प्यटन तथा कृषि जैसे ट्रेड्स में व्यावसायिक शिक्षा आरम्भ की गई है।
(फाइल फोटो)
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