शिमला, 01 जुलाई (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गुरूवार को शिमला जिले के रामपुर तहसील के गौरा में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बन कर उभरा है और आज प्रदेश की साक्षरता दर 88 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15534 स्कूल कार्यरत हैं, जबकि प्रदेश में महाविद्यालय की संख्या 115 हो गई है और हाल ही में तीन और काॅलेजों की घोषणा की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को उच्च व गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित किया है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालयों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अध्यापकों को उनके व्यक्तित्व निर्माण पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न करने की दिशा में अध्यापकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
उन्होंने कहा कि अध्यापकों को पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाने के साथ-साथ प्रत्येक विषय के बारे में विद्यार्थियों को समग्र जानकारी प्रदान करनी चाहिए और उन्हें पुस्तकालय में बैठने की आदत डालने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए ताकि वे अपने ज्ञान का संवर्द्धन कर सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा और विकास एक दूसरे का पर्याय हैं और केवल सुशिक्षित समाज एवं राष्ट्र ही विकास कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गौरा का लोकार्पण किया, जिसका निर्माण 3.95 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
उन्होंने इससे पूर्व दूरदराज क्षेत्र छः-बीश तथा उन्नीस-बीश क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक जनसभाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश का विकास ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि पर निर्भर करता है, क्योंकि प्रदेश की 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या इन क्षेत्रों में रहती है। प्रदेश में हो रहे निरन्तर विकास का श्रेय यहां के मेहनतकश लोगों तथा समय-समय पर केन्द्र व प्रदेश में सत्तासीन रही कांग्रेस सरकारों को जाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश तभी पूर्ण विकसित प्रदेश बनेगा, जब प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र समृद्ध व विकसित होंगे।
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