शिमला, 02 जून (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने शारीरिक एवं मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों के समग्र कल्याण के लिए एक नीति बनाई है और उन्हें समाज में प्रतिष्ठा के साथ रहने के लिए समान अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। नीति का उद्देश्य इस वर्ग के सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के अलावा उनकी समाज की मुख्यधारा में सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित बनाना है।
हिमाचल प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. कर्नल धनी राम शांडिल ने यह बात गुरूवार को नई दिल्ली में विभिन्न राज्यों के समाज कल्याण मंत्रियों तथा सचिवों के लिए आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेते हुए कही। सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावड़ चंद गहलोत ने की।
शांडिल ने कहा कि राज्य सरकार ने विकलांगता अधिनियम, 1995 को सही ढंग से कार्यान्वित करने के लिए मानसिक तौर पर अक्षम व्यक्तियों को इसके दायरे में शामिल करके एक व्यापक योजना तैयार की है। इस योजना के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य में अक्षम वृद्धजनों के लिए विशेष आश्रय गृहों की स्थापना की गई है, जहां उन्हें रहने व खाने-पीने तथा स्वास्थ्य की निःशुल्क सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार दृष्टिबाधित अथवा अस्थि दोष से ग्रसित बच्चों के लिए अलग से एक नया संस्थान खोलने जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार विशेष बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा अन्य शिक्षण संस्थानों में तीन प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रही है। इस वर्ग के लिए आरक्षित पदों को भरने के लिए विशेष अभियान के अन्तर्गत सरकार ने अभी तक विभिन्न श्रेणियों के 1698 पद भरे हैं। इसके अतिरिक्त सरकार 70 प्रतिशत से अधिक अक्षमता वाले व्यक्तियों को 1200 रुपये प्रतिमाह विकलांगता राहत भत्ता प्रदान कर रही है।
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