अमेरिका के इतिहास में हिलेरी रोढम क्लिंटन का डेमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवार बनना एक ऐतिहासिक घटना है। भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, दुनिया का दारोगा कहलाए लेकिन 4 जुलाई 1776 को स्वतंत्र होने के बाद आज तक किसी भी महिला को देश का मुखिया नहीं बना सका।
वजह चाहे जो रही हो, और यह अलग विषय है लेकिन अमेरिका जैसे देश में पहली बार, फिलाडेल्फिया में हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी प्रतिनिधियों ने हिलेरी क्लिंटन को राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार नामित कर महिला राष्ट्रपति बनने का रास्ता जरूर साफ कर दिया है।
उन्हें 4764 डेलीगेट्स में 2842 वोट हासिल हुए। निश्चित रूप से दुनिया के विकासशील और बहुत से पिछड़ों देशों के मुकाबले अमेरिका में किसी महिला को राष्ट्रपति पद का दावेदार बनने में इतने साल लगे जो अपने आप में बड़ा सवाल है? अन्य देशों की तरह अमेरिका में भी व्यक्ति शब्द की व्याख्या का इतिहास दुनिया से अलग नहीं था। महिलाएं वहां भी निश्चित रूप से शोषित, उत्पीड़ित थीं।
ऋतुपर्ण दवे
अमेरिका के इतिहास में हिलेरी रोढम क्लिंटन का डेमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवार बनना एक ऐतिहासिक घटना है। भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, दुनिया का दारोगा कहलाए लेकिन 4 जुलाई 1776 को स्वतंत्र होने के बाद आज तक किसी भी महिला को देश का मुखिया नहीं बना सका।
वजह चाहे जो रही हो, और यह अलग विषय है लेकिन अमेरिका जैसे देश में पहली बार, फिलाडेल्फिया में हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी प्रतिनिधियों ने हिलेरी क्लिंटन को राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार नामित कर महिला राष्ट्रपति बनने का रास्ता जरूर साफ कर दिया है।
उन्हें 4764 डेलीगेट्स में 2842 वोट हासिल हुए। निश्चित रूप से दुनिया के विकासशील और बहुत से पिछड़ों देशों के मुकाबले अमेरिका में किसी महिला को राष्ट्रपति पद का दावेदार बनने में इतने साल लगे जो अपने आप में बड़ा सवाल है? अन्य देशों की तरह अमेरिका में भी व्यक्ति शब्द की व्याख्या का इतिहास दुनिया से अलग नहीं था। महिलाएं वहां भी निश्चित रूप से शोषित, उत्पीड़ित थीं।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने ब्राडवेल बनाम इल्लिनाइस सन् 1873 के फैसले में व्यवस्था दी कि विवाहित महिलाएं ‘व्यक्ति’ की श्रेणी में नहीं हैं और वकालत नहीं कर सकतीं। इसके बाद दो वर्ष के अंतराल में माइनर बनाम हैपियर सेट के मामले में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने यह तो माना कि महिलाएं नागरिक हैं लेकिन यह भी कहा कि वे विशेष श्रेणी की नागरिक हैं अत: उन्हें मत डालने का अधिकार नहीं हैं।
अमेरिका में 21 वर्ष उम्र की महिलाओं को मत देने की अनुमति पहली बार 19वीं शताब्दी में, 1920 में मिली वह भी 19वें संविधान संशोधन के बाद। लेकिन आज परिस्थितियां भिन्न हैं। वहां अब महिलाएं बराबरी पर हैं तो जरूर फिर भी अमेरिका से बहुत पीछे दूसरे देशों के मुकाबले, देश के मुखिया पद तक नहीं पहुंच सकीं। पहली बार रास्ता आसान हुआ है।
कुछ भी हो, अब अमेरिका में कम से कम महिलाओं को उनके आत्मसम्मान का मान और भी बढ़ा लगेगा। 26 अक्टूबर 1947 को जन्मीं हिलेरी रोढम क्लिंटन ने 2008 में भी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी पेश की थी, लेकिन बराक ओबामा से पिछड़ गईं और बराक ओबामा दोबारा राष्ट्रपति बन गए।
नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी का मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से होगा। हिलेरी क्लिंटन अमेरिका में एक मजबूत दावेदार के रूप में देखी जा रही हैं। वह सीनेटर भी रहीं, अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति की पत्नी हैं अर्थात देश के पहली महिला बनने का भी गौरव उन्हें पहले से प्राप्त है।
हिलेरी सन् 2000 में पहली बार सीनेटर बनीं, 2006 में दोबारा सीनेटर बनीं। 2008 में अमेरिकी सरकार में सेक्रेट्री ऑफ स्टेट बनीं। वह ओबामा के पहले कार्यकाल में 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं। मजबूत, आक्रामक और त्वरित निर्णय लेने वाली महिला के रूप में उन्हें देखा जाता है। उनको लेकर उनके विरोधी मुखर हो गए हैं, क्योंकि ऐसा लगने लगा है कि इस नवंबर आते-आते वहां का चुनाव कहीं एकतरफा तो नहीं हो जाएगा?
हालांकि वहां भी एंटी इंकम्बेन्सी फैक्टर की चर्चा जरूर है। मौजूदा डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा लगातार दोबारा राष्ट्रपति बने। हिलेरी को इस फैक्टर से दो-चार होना पड़ेगा। लेकिन अमेरिका में पहली बार किसी महिला के उम्मीदवार होने का फायदा उन्हें जरूर मिलेगा, फिर आधी आबादी का साथ व समर्थन तो तय है। वहीं हिलेरी अमेरिका की राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा भी हैं।
हिलेरी क्लिंटन के विरोधी के रूप में सामने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप हैं जो व्यवसायी हैं। उम्मीदवारी सुनिश्चित होने के बाद कई नारों को जन्म दे चुके ट्रंप के बारे में राष्ट्रपति ओबामा कहते हैं कि उनके पास न तो भविष्य की योजनाएं हैं न ही तथ्य। श्रमिकों को लेकर सम्मान भी नहीं है, वो बेवजह का भय पैदा कर रहे हैं।
ओबामा ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप यह दांव हार जाएंगे, क्योंकि अमेरिका के लोग कमजोर या डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने डोनाल्ड पर आरोप लगाया कि वह पुतिन के साथ निकटता बढ़ाते हैं, सद्दाम हुसैन की प्रशंसा करते हैं और ‘9-11 हमले के बाद हमारे साथ खड़े रहे नाटो सहयोगियों से कहते हैं कि यदि उन्हें हमारे संरक्षण की जरूरत है तो उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी पड़ेगी।’
ओबामा यह भी कहते हैं, “अमेरिका बदले में कीमत नहीं चाहता। हम अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करते हैं और इसीलिए पृथ्वी पर करीब-करीब हर देश अमेरिका को बीते आठ वर्ष की तुलना, अधिक मजबूती और सम्मान के साथ देख रहा है।”
ओबामा ने अमेरिकावासियों से अपील की कि जिस तरह उन्हें बढ़-चढ़ कर समर्थन दिया, वैसा ही हिलेरी को देकर कटुता और डर को नकारें तथा पूरी दुनिया को बता दें कि वहां के लोग अपने महान देश के वादे में विश्वास करते हैं। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को भी कमतर नहीं आंका जा सकता, क्योंकि उन्होंने 16 उम्मीदवारों को पछाड़कर उम्मीदवारी हासिल की है।
हालांकि डोनाल्ड का विरोध अजीबो-गरीब तरीके से सामने दिखा, जब 130 महिलाओं ने एक फोटोग्राफर, स्पेंसर ट्यूनिक के फोटो शूट में नग्न प्रदर्शन किया और कहा कि ट्रंप व्हाइट हाउस के लिए उपयुक्त नहीं है।
ट्यूनिक ऐसे शूट्स के लिए जाने जाते हैं, लेकिन खुद ही कहते हैं यह राजनीतिक है और पहली बार ऐसा कर रहे हैं जो उनकी मजबूरी है क्योंकि ट्रम्प ने महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए जो भाषा प्रयोग की है वो कदापि उचित और भरोसे के लायक नहीं कही जा सकती। संभव है कि ट्रम्प को और भी दूसरे विरोध सहने पड़ें।
बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि हिलेरी क्लिंटन पूरी दुनिया में सम्मान के साथ देखी जाती हैं, वहां की सरकारें भी सम्मान करती हैं बल्कि वो लोग भी बहुत सम्मान करते हैं जिनके हितों के लिए वो संघर्ष करती हैं।
भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, ब्रिटेन, जर्मनी सहित कई देशों की बागडोर, महिलाओं के हाथों में आने के बाद अब अमेरिका को यह मौका पहली बार मिला है, बस देखना है तो हिलेरी क्लिंटन की कामयाबी। -ऋतुपर्ण दवे
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)
फोटो-आईएएनएस