न्यूयॉर्क, 4 मई | शोधकर्ताओं ने पाया है कि एथेरोस्केरोसिस (धमनियों के अंदर का प्लॉक) के इलाज के लिए ईजाद दवा का इस्तेमाल अग्न्याशय के कैंसर के इलाज में हो सकता है। एथेरोस्केरोसिस से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। एथेरोस्केरोसिस वसा, कोलेस्ट्रॉल और धमनियों के अंदर के दूसरे पदार्थो से बनता है, जिससे रक्त प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होता है।
नए शोध से यह खुलासा हुआ है कि कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने से अग्न्याशय की कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की मेटास्टासिस प्रक्रिया रुक जाती है। मेटास्टासिस प्रक्रिया से ही कैंसरग्रस्त कोशिकाएं दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को अपनी चपेट में लेती हैं।
अमेरिका के परडू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीन शिन चेंग बताते हैं, “हमें पहली बार पता चला है कि अगर आप कोलेस्ट्रॉल मेटाबालिज्म को नियंत्रित कर दें तो आप अग्न्याशय के कैंसर को दूसरे अंगों तक फैलने से रोक सकते हैं।”
चांग कहते हैं, “हमने जांच के लिए अग्न्याशय के कैंसर का चयन इसलिए किया, क्योंकि यह सभी तरह के कैंसर में सबसे खतरनाक माना जाता है।”
यह शोध ओंकोजेन नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इंडियाना युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर जिंगवू शी बताते हैं, “इस शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि कोलेस्ट्रॉल इस्ट्रीफिकेशन को रोक कर मेटास्टेटिक अग्न्याशय कैंसर का इलाज किया जा सकता है।”
इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि एथेरोस्केरोसिस के इलाज के लिए विकसित की गई एवासिमिबे जैसी दवाइयों से कोलेस्ट्राल इस्टर को रोका जा सकता है।
अग्न्याशय के कैंसर से पीड़ित मरीज इस बीमारी का पता लगने के बाद काफी कम समय तक जीवित रह पाता है।
चांग का कहना है, “उम्मीद है कि नए इलाज से अग्न्याशय के कैंसर से पीड़ित मरीजों की जिन्दगी कम से कम एक साल बढ़ाई जा सकती है।”
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