टोरंटो, 24 जुलाई (आईएएनएस)| गे, लेस्बियन और उभयलिंगी (सेक्सुअल माइनॉरिटी) लड़कों व लड़कियों में सामान्य की तुलना में खाने की असमान्य प्रवृत्ति का विकास हो रहा है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। खाने की आदत में आ रहा यह बदलाव उनके भोजन करने के अस्वास्थ्यकर तरीकों की तरफ इशारा करता है। हालांकि उनके खाने की आदतों की पहचान किसी फिजिशियन के द्वारा नहीं की गई है, लेकिन इसके बाद भी उनके खाने की आदत से उन्हें नुकसान होना तय है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इटिंग डिसॉर्डर में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि लेस्बियन और समलैंगिक लोगों में खाना खाने की दर असामान्य रूप से बढ़ी है, जो उनके लिए खतरे की घंटी है।
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि ऐसे लोग लेक्जेटिव, डाइट पिल्स और जल्दी वजन घटाने वाली दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं।
शोधकर्ता ने यह भी पाया है कि लेस्बियन पेट साफ करने के लिए दो बार शौचालय जाते हैं और अपना वजन काबू में करने के लिए उपवास भी रखते हैं।
जबकि लैंगिक रूप से सामान्य लोगों में इस तरह लक्षण कम पाए जाते हैं और समय के साथ उनमें खाने की दर कम होती जाती है।
यह अध्ययन 12 से 18 साल के किशोरों पर किया गया है। इससे पता चलता है कि खाने की असामान्य प्रवृत्ति में सेक्सुअल माइनॉरिटी किशोरों और सामान्य किशोरों में अंतर है।
इसके बावजूद, वैंकुवर के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता रियान वाटसन कहते हैं, “विषमलिंगी युवाओं में खाने की असामान्य प्रवृत्ति की दर में सुधार देखने को मिलता है, जबकि सेक्सुअल माइनारिटी युवाओं में कोई खास फर्क नहीं आता।”
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