नई दिल्ली, 4 मार्च (जनसमा)। सरकार आने वाले वित्तीय साल में 2016-17 में 1 लाख 40 हजार अल्पसंख्यक युवाओं को आजीविका के लिए प्रशिक्षित करेगी। ‘स्किल इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ के लिए सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप तथा देश की अर्थव्यवस्था में अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूरों के कौशल विकास के लिए 2016-17 के बजट में 385 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसमें एकीकृत शैक्षिक तथा आजीविका कार्यक्रम ‘नई मंजिल’ शामिल हैं।
कौशल विकास के लिए 2015-16 में दो नये कार्यक्रम- ‘उस्ताद’ और ‘नई मंजिल’ शुरू किये गए थे। अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम ‘सीखो और कमाओ’ का विस्तार किया गया है। मंत्रालय का उद्देश्य इन योजनाओं के तहत 2016-17 में 1 लाख 40 हजार अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षित करना है।
नई योजना ‘नई मंजिल’ 8 अगस्त 2015 को प्रारंभ की गई। यह योजना उन युवाओं के लिए लाभकारी है जिनके पास औपचारिक रूप से स्कूल छोडने का प्रमाण-पत्र नहीं है। यानी ऐसे युवा जिन्होंने स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी या जिन्होंने मदरसों जैसे सामुदायिक शैक्षिक संस्थानों में पढ़ाई की है। यह योजना ऐसे लोगों को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार ढूंढने योग्य बनाने और उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए है।
इससे मदरसों के विद्यार्थियों के लिए अवसरों के द्वार खुलेंगे। यह योजना पांच वर्षों के लिए 650 करोड़ रुपये की लागत से मंजूर की गई हैं। योजना का 50 प्रतिशत धन विश्व बैंक देगा। विश्व बैंक ने 50 मिलियन डॉलर धन देने की मंजूरी दी है। यह पहला मौका है जब विश्व बैंक भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कार्यक्रम को समर्थन देने आगे आया है। 2016-17 के लिए योजना के तहत 25 हजार अल्संख्यक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 155 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2016-17 के बजट में 3800 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय रखा है। यह 2015-16 के 3712.78 करोड़ रुपये की तुलना में 87 करोड़ रुपये अधिक है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कौशल विकास के जरिये शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के आधार पर अपनी प्रथमिकताओं का निर्धारण किया है।
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