वर्ष 2014-15 में इसके पहले के साल की तुलना में भारतीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को मिलने वाली विदेशी धनराशि दोगुनी हो गई, लेकिन साल 2015 में 10,000 एनजीओ के पंजीकरण रद्द होने के साथ विदेशी अंशदान में कमी होने की आशंका है। यह खुलासा विदेशी अंशदान पर हाल के आंकड़ों से हुआ है।
गत 26 जुलाई को लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, भारत को मिलने वाली विदेशी सहायता के 65 प्रतिशत अंश दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश(एकीकृत), कर्नाटक और केरल को मिलते हैं।
इंडिया स्पेंड के एक विश्लेषण के अनुसार, साल 2011-12 से 2014-15 तक चार साल में भारतीय गैर सरकारी संगठनों को विदेशों से 45,300 करोड़ रुपये मिले, जिनमें 29,000 करोड़ रुपये राष्ट्रीय राजधानी समेत इन चार राज्यों के गैर सरकारी संगठनों के खाते में चले गए।
साल 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 10 हजार एनजीओ के पंजीकरण रद्द किए जाने के बाद अब 33,091 एनजीओ विदेशी सहायता पाने के लिए विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम(एफसीआरए) के तहत पंजीकृत हैं।
जिन कारणों से इन एनजीओ के पंजीकरण रद्द किए गए हैं, उनमें रिटर्न नहीं भरना, राशि का दुरुपयोग और निषिद्ध कार्यो के लिए धन लेना शामिल हैं।
विश्व बैंक द्वारा चिन्हित 200 देशों में 165 देशों से भारतीय एनजीओ को सामाजिक क्षेत्र के लिए धन मिलते हैं।
ताजा उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर एफसीआरए की वार्षिक रपट का विश्लेषण करने के बाद पता चलता है कि साल 2011-12 में 12,000 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता मिली, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और बाल कल्याण के लिए 4,500 करोड़ रुपये दिए गए।
जबकि साल 2011-12 में धार्मिक गतिविधियों से जुड़े एनजीओ को 870 करोड़ रुपये और शोध गतिविधियों से जुड़े एनजीओ को 539 करोड़ रुपये मिले।
अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ भारत को धन देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे केवल सरकार को ही दे सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और एशियाई विकास बैंक समेत 109 अंतर्राष्ट्रीय संगठन जब भारतीय परियोजनाओं के लिए धन देते हैं तो वे एक विदेशी स्रोत के रूप में नहीं माने जाते हैं।
एफसीआरए अधिनियम, 2010 को लागू करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय के गठन हेतु एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म(एडीआर) ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। इस मामले की फिलहाल सुनवाई चल रही है।
-अभिषेक वाघमारे
(आंकड़ा आधारित, गैरलाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडिया स्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। अभिषेक वाघमारे इस संस्था से संबद्ध हैं, और आलेख में प्रस्तुत विचार इंडिया स्पेंड के हैं।) –आईएएनएस
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