नई दिल्ली, 9 फरवरी| केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने गुरुवार को करीब 105 अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने के लिए गुरुवार को एक विधेयक पेश किया। प्रसाद द्वारा लोकसभा में पेश निरसन एवं संशोधन विधेयक, 2017 में जिन अनावश्यक एवं अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा गया है, उनमें नौ 19वीं सदी से पहले के हैं, जबकि 1950 से पहले के हैं।
इनमें वर्ष 1867 का गंगा टोल अधिनियम भी है, जिसके मुताबिक कुछ खास नौकाओं व स्टीमर्स से उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद और बिहार में दिनापुर (अब दानापुर) के बीच गंगा नदी में नौपरिवहन के लिए 12 अना तक का टोल वसूले जाने का प्रावधान है।
निरस्त किए जाने वाले कानूनों की सूची में 2008 का गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, राष्ट्रपति के लिए वेतन एवं पेंशन अधिनियम, उप-राष्ट्रपति के लिए पेंशन अधिनियम और युवा व्यक्तियों (नुकसानदेह प्रकाशन) अधिनियम, 1956 भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में आने के बाद से अनुपयोगी व पेचीदा कानूनों को हटाने की बात करते रहे हैं। –आईएएनएस
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