चंडीगढ़, 15 मई (जनसमा)। कुंडली-गाजियाबाद-पलवल एक्सप्रेस वे (केजीपी) और कुंडली मानेसर-पलवल एक्सप्रैस वे (केएमपी) की राह का आखिरी रोड़ा रविवार को हट गया। अपनी जमीन बचाने के लिए 17 नवंबर 2005 से धरने पर बैठे बढख़ालसा गांव के ग्रामीणों ने हवन कर धरना समाप्त करने की घोषणा की और रोड के निर्माण में अपना पूरा सहयोग देने का वायदा किया।
केजीपी व केएमपी के गोल चक्कर व रोड के लिए बढख़ालसा गांव की जमीन का अधिग्रहण 2005 में तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। इसके बाद ग्रामीणों ने 17 नवंबर, 2005 को संघर्ष का विजय महायज्ञ कर धरने की शुरूआत करने की घोषणा की थी और उसके बाद से लगातार यह धरना चला आ रहा था। ग्रामीण अपनी जमीन किसी भी कीमत पर देने के लिए राजी नहीं थे और इसी वजह से रोड का काम बीच में ही रूका हुआ था।
वर्तमान सरकार बनने के बाद इस रोड के निर्माण कार्य में तेजी आई और काम को गति दी गई। इसके बाद 19 अप्रैल, 2016 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ ग्रामीणों की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि रोड निर्माण के लिए रास्ते में आने वाली जमीन को नहीं छोड़ा जा सकता, लेकिन अगर किसान चाहें तो उन्हें जमीन के बदले दूसरी जगह पर जमीन दी जा सकती है। इसके साथ ही जिला प्रशासन को इन आदेशों का पालन करने के निर्देश भी दिए गए।
इन्हीं आदेशों पर काम करते हुए सोनीपत के उपायुक्त के.मकरंद पांडुरंग ने लगातार किसानों से संपर्क साधा और किसानों को जमीन के बदले जमीन या बढ़ा हुआ मुआवजा उठाने की बात कही गई। पांडुरंग ने बताया कि इसी बीच 70 किसानों ने अपनी जमीन का मुआवजा उठा लिया और बाकी बचे 212 किसानों को अब जमीन के बदले जमीन मुहैया करवा दी जाएगी। इसी मुद्दे पर रविवार को उपायुक्त गांव में पहुंचे और किसानों के साथ बातचीत कर धरना समाप्त करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह रोड क्षेत्र की जीवन रेखा है और इससे क्षेत्र में विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन के बदले जमीन देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इसके बाद सभी ग्रामीण इकट्ठा हुए और उन्होंने संघर्ष विजय महायज्ञ का आयोजन कर यज्ञ में पूर्णाहूति डाली और रुके हुए काम को शुरू करवा दिया।
(फाइल फोटो)
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