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जशपुर जिले में पक्षियों की 163 प्रजातियां रिकार्ड की गई

छत्तीसगढ़  के जशपुर जिले में मात्र 43 प्रजातियों का रिकार्ड उपलब्ध है। पिछले एक सप्ताह से जशपुर जिले के पांच परिक्षेत्रों का भ्रमण किया गया जिसमें 163 प्रजातियों का अभिलेखीकरण किया गया है।

जशपुर जिले के प्राकृतिक वन, प्रचुर जैव विविधता एवं विशेष जलवायु प्रकृति होने के कारण कई प्रकार के स्थानीय एवं प्रवासी पक्षी पाए जाते है।  इन पक्षियों के संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाने हेतु ’’उड़ान’’ नाम अभियान प्रारंभ किया गया है।

अभियान के प्रथम कड़ी में 4 फरवरी को जशपुर के अग्रणी पर्यावरणविद् शिवानंद मिश्रा के मार्गदर्शन में ’’पक्षी मितान संगोष्ठी’’ का आयोजन किया गया। इसमें जशपुर जिले के 150 से अधिक, स्कूल एवं कॉलेज के विद्यार्थी, युवा, पर्यावरण प्रेमी प्रबुद्ध नागरिक एवं वन विभाग के सहभागी रहे।

इस अवसर पर शिवानंद मिश्रा ने कहा कि अविवेकपूर्ण विकास के कारण पक्षियों का विनाश हो रहा है। उड़ान अभियान में ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों, पंचायतों एवं अन्य संस्थाओं को जोड़ते हुए जागरूकता फैलाया जाना चाहिए।

वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत ने बताया कि जशपुर के वन एवं जलवायु के विशेषता के कारण स्थानीय और प्रवासी पक्षी यहां आते है।

कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जिन्हें छत्तीसगढ़ में पहली बार देख गया है। इन पक्षियों के बारे में जानना चाहिए एवं संरक्षण में भागीदार होना चाहिए। बर्ड वाचिंग एक बहुत ही रोमांचकारी विषय है और जशपुर जिले में इसका बहुत संभावना है।

स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्र-छा़त्राओं, पर्यावारण प्रेमी युवा, आम नागरिकों एवं वन विभाग के कर्मचारियों को पक्षियों के संरक्षण प्रति संवेदनशील बनाना ’’उड़ान’’ अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

पक्षी विज्ञान के विद्यार्थी रवि नायडू ने बताया कि जशपुर जिले में मात्र 43 प्रजातियों का रिकार्ड उपलब्ध है। पिछले एक सप्ताह से जशपुर जिले के पांच परिक्षेत्रों का भ्रमण किया गया जिसमें 163 प्रजातियों का अभिलेखीकरण किया गया है। उनके द्वारा स्लाईड शो के माध्यम से कई पक्षियों के आवास एवं व्यवहार के बारे में जानकारी दिया गया ।

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में रवि नायडू बर्ड वाचिंग का क्षेत्रीय प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें कई तरह के पक्षियों का पहचान किया गया। इसी दौरान नीमगांव के जलाशय में प्रवासी पक्षियों का संरक्षण एवं संवर्धन कर बर्ड वाचिंग एवं पर्यटन के लिए उपयुक्त स्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया गया।