संयुक्त राष्ट्र, 15 अक्टूबर। दुनियाभर में दो साल से कम उम्र के छह में से केवल एक बच्चे को पर्याप्त पोषण मिलता है, जबकि पांच बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अनुसार, जीवन के शुरुआती दो साल बच्चों के शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद अधिकांश बच्चों को इस उम्र में पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पिछले 10 वर्षो में गंभीर कुपोषण में कमी आई है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के 15.6 करोड़ बच्चे अब भी कुपोषित हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर या गरीब सभी देशों में स्तनपान बच्चों के लिए पोषण का सबसे बढ़िया माध्यम है, फिर भी कुछ ही बच्चों को इसका लाभ मिल पाता है।
स्तनपान पर केंद्रित हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को छह महीने की आयु से ठोस, अर्ध ठोस और नरम आहार दिया जाना चाहिए, लेकिन कई बच्चों को बहुत जल्दी या देर से इन आहारों को दिया गया जिससे उनके विकास और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
रिपोर्ट में दो साल तक या उससे ज्यादा उम्र तक बच्चों को पूरक आहार के तौर पर स्तनपान कराने पर भी जोर दिया गया।
यूनिसेफ की वरिष्ठ पोषण सलाहकार फ्रांस बिगिन ने कहा, “शिशुओं और छोटे बच्चों को जीवन में और किसी भी अन्य समय की अपेक्षा ज्यादा पोषण की जरूरत होती है, लेकिन लाखों बच्चों के शरीर और दिमाग बहुत कम आहार या बहुत देर से आहार मिलने के कारण अपनी क्षमता तक नहीं पहुंच पाते।”
बहुत कम बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के भीतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण स्तनपान कराया जाता है और छह से लेकर 23 महीने तक के सिर्फ आधे बच्चों को ही उम्र के अनुसार न्यूनतम पोषक आहार मिल पाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर या गरीब देशों में लंबे समय तक स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धिमान होते हैं और शैक्षणिक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
स्तनपान मोटापा और पुरानी बीमारियों को खत्म करने में सहायक होता है। स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भाशय व स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर स्तनपान से हर साल 8,00,000 से अधिक बचचों को बचाया जा सकता है। —आईएएनएस/सिन्हुआ
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