अक्षय ऊर्जा पर अधिक ध्यान, गांवों में अधिक विश्वसनीय बिजली आपूर्ति, राष्ट्रीय पहचान प्रणाली बन चुके आधार के प्रसार और इंटरनेट के अधिक प्रयोग एवं विस्तार पर इंडियास्पेंड के मुताबिक भारत को 2017 में ध्यान देना चाहिए।
सुशासन के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर नतीजे निकालने वाले निकाय इंडियास्पेंड का कहना है कि ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी के लिए अक्षय ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए, ताकि देश की कोयले पर निर्भरता कम हो।
भारत का कहना है कि इस साल वह 16 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी, जिसे 2022 तक 175 गीगावॉट बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2016 तक 3.9 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा संयंत्र ही स्थापित हो पाए हैं।
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत की 30 नवंबर 2016 तक कुल ऊर्जा क्षमता 309 गीगावॉट है जिसका करीब 15 फीसदी अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होता है। सितंबर 2015 से सितंबर 2016 के बीच देश भर में 8.5 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए, जबकि इस साल पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में 15.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 3.7 गीगावॉट से अधिक हो गया। वहीं, सौर ऊर्जा क्षमता में करीब 96 फीसदी की वृद्धि हो गई है और यह 4.2 गीगावॉट है।
पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में धीमी वृद्धि के बावजूद भारत, चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद दुनिया में इस मामले में चौथे स्थान पर है।
भारत ने वित्त वर्ष 2016-17 में अक्षय ऊर्जा में बढ़ोतरी के लिए 4 गीगावॉट पवन ऊर्जा और 12 गीगावॉट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, चालू वित्त वर्ष के आठ महीने बीतने के बावजूद पवन ऊर्जा लक्ष्य का 40 फीसदी और सौर ऊर्जा लक्ष्य का केवल 17.5 फीसदी ही पूरा हो पाया है।
2017 के इस लक्ष्य के पूरा करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को 2.35 गीगावॉट पवन ऊर्जा संयंत्र और 11.8 गीगावॉट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
भारत में कुल 750 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता है जो कि हमारी कुल तापीय ऊर्जा क्षमता का 3.5 गुणा है। हमारी कुल ऊर्जा में तापीय ऊर्जा का योगदान 70 फीसदी है, जबकि सौर ऊर्जा का प्रकाश साल में 300 से ज्यादा दिन तक उपलब्ध रहता है।
नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अगले दो वित्त वर्षों (2017-18 और 2018-19) के लिए अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 42.6 गीगावॉट बढ़ोतरी का रोडमैप तैयार किया है।
वहीं, गांवों के विद्युतीकरण का काम तेजी से चल रहा है लेकिन बिजली की पर्याप्त आपूर्ति पर संदेह है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक जून 2016 तक 98.1 फीसदी गांवों के विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में 1000 दिनों के अंदर देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने की घोषणा की थी, जो समयसीमा 1 मई 2018 को खत्म हो रही है।
हालांकि किसी गांव के केवल 10 फीसदी घरों तक ही बिजली पहुंचाकर उस गांव का विद्युतीकरण पूरा होना मान लिया जाता है। और, इसके बावजूद भी बिजली की गुणवत्ता संदिग्ध बनी रहती है।
ऊर्जा मंत्रालय के नवीनतम बयान के मुताबिक अब तक 11,429 गांवों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजेवाई) को जुलाई 2015 में शुरू किया गया था। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 4.2 करोड़ घरों को मुफ्त बिजली कनेक्शन मुहैया कराना है। 31 मार्च 2016 तक 2.32 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जा चुका है।
आधार कार्ड पर ध्यान देने की भी जरूरत है। अब उत्तरपूर्वी राज्यों में आधार कार्ड बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। साल 2016 तक कुल एक अरब लोगों के आधार कार्ड जारी होने का अनुमान लगाया गया था और यह आंकड़ा अप्रैल में ही पार कर गया।
दिसंबर 2016 तक कुल 1.095 अरब आधार कार्ड बन चुके हैं। इनमें से 73.4 फीसदी आधार कार्ड रखने वालों की उम्र 18 साल से अधिक है, जबकि 22.75 फीसदी आधार कार्ड धारकों की उम्र 5 से 18 वर्ष के बीच है।
लेकिन, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के आंकड़ों के मुताबिक 15 दिसंबर 2016 तक बिहार, मणिपुर, जम्मू एवं कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय और असम के 75 फीसदी से भी कम लोगों के पास आधार कार्ड था।
इन क्षेत्रों में खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में आधार कार्ड कार्यक्रम पर साल 2017 में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। मेघालय में 9 फीसदी और असम में 6 फीसदी से भी कम लोगों के पास आधार कार्ड है।
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यह अनुमान लगाया गया था कि जून 2016 तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़कर 46.2 करोड़ हो जाएगी। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2016 तक देश में 36.75 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं।
संचार और सूचना प्रद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि साल के अंत तक या 2017 में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या बढ़कर 50 करोड़ हो जाएगी।
लेकिन, भारत में इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या महज 26 फीसदी है जबकि विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में कुल आबादी के मुकाबले इसका अनुपात 43.9 फीसदी है।
अनुमान है कि भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या दुनिया के औसत से तीन गुणा अधिक रफ्तार से बढ़ेगी और व्यापार संघ एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) के मुताबिक अगले पांच सालों में कम से कम 40 करोड़ नए प्रयोक्ता जुड़ेंगे। -मुक्ता पाटिल
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यह इंडियास्पेंड का निजी विचार है।)
–आईएएनएस
Follow @JansamacharNews