नई दिल्ली, 28 जून (जनसमा)। सरकार का मानना है कि भारत विकसित देशों की तुलना में फार्मास्यूटिकल उद्योग में 10 से 15 साल पीछे है और इसे चीन,कोरिया और अन्य देशों से चुनौती मिल रही है।
भारत इस स्थिति से निजात पाना चाहता है और तेजी से आगे बढ़ना चाहता है। इसीलिए भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स के विकास को गति देने के लिए 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर के निवेश के सथ( जिसमें 12.5 करोड़ डॉलर का विश्व बैंक कर्ज) इनोवेट इन इण्डिया(आई3) मिशन की औपचारिक शुरुआत 30 जून को केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन करेंगे।
यह अनुमान है कि भारतीय बायोफार्मास्यूटिकल्स उद्योग में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होगा।
फाइल फोटो: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन
भारत फार्मास्यूटिकल उद्योग में काफी सक्रिय रहा है और जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण और जरूरतमंदों के लिए कम कीमत वाले फार्मास्यूटिकल उत्पादों में भारत का वैश्विक स्तर पर अहम योगदान रहा है। चाहे वह रोटा वायरस के टीके हों या हार्ट वाल्व प्रोस्थेसिस या फिर सस्ते इंसुलिनए भारत इनमें और कई दूसरी दवाओं के निर्माण में अग्रणी रहा है।
इसकी वजह उत्कृष्टता केन्द्रों में तालमेल, खोजपरक अनुसंधान और उचित कोष की कमी है। इस क्षेत्र में समेकित नवाचार सुनिश्चित करने के लिए उत्पाद खोज, अनुसंधान और शुरूआती विनिर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत में नवाचार आई-3 इन कमियों को दूर करेगी और भारत को प्रभावी बायोफार्मास्यूटिकल उत्पादों के क्षेत्र में डिजाइन और विकास का केन्द्र बनायेगा। इस मिशन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायक परिषद (बीआईआरएसी) लागू करेगी
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