मथुरा, 1 फरवरी | उत्तर प्रदेश की राजनीति में अयोध्या और कृष्ण की नगरी मथुरा का अपना अलग महत्व है। सियासत भी ‘राम’ और ‘कृष्ण’ के इर्द गिर्द ही घूमती रही है, फिर भी दिलचस्प बात यह है कि मथुरा संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पिछले 15 वर्षो से जीत नहीं मिली है, जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदीप माथुर लगातार 15 वर्षो से मथुरा से विधायक हैं जो विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।
अंतिम बार वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां की गोवर्धन विधानसभा सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने मथुरा सीट 1996 में जीती थी, जबकि गोकुल सीट पर भाजपा को 1993 में, छाता विधानसभा सीट पर 1991 में जीत हासिल हुई थी। इसके बाद से भाजपा को यहां की सीटों पर जीत का इंतजार है।
उप्र में 1993 के विधानसभा चुनाव में गोकुल सीट जीतने वाले पूर्व विधायक प्रनत पाल सिंह ने आईएएनएस से कहा कि पिछले कुछ वर्षो तक इस इलाके में भाजपा का कोई आधार नहीं था। हालांकि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कुछ स्थिति सुधरी है, लेकिन विधानसभा चुनाव में यहां क्षेत्रीय पार्टियों का ही दबदबा रहता है।
बहरहाल, जहां तक मथुरा विधानसभा सीट की बात है तो यहां पर कांग्रेस की कम, प्रदीप माथुर की जीत ज्यादा होती है। माथुर ने यहां से 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल की थी। इसलिए कांग्रेस ने उन्हीं पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने अपने युवा और चर्चित चेहरे श्रीकांत शर्मा को यहां से उतारा है और बसपा ने योगेश द्विवेदी को टिकट दिया है।
मथुरा विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 70,000 हजार है। वैश्य मतदाता यहां दूसरे नंबर पर आते हैं। उनकी संख्या 64 हजार, मुस्लिम मतदताओं की संख्या 35 हजार है, जबकि 27 हजार जाट मतदाता हैं।
भाजपा के उम्मीदवार श्रीकांत शर्मा मथुरा में माथुर का किला ध्वस्त करने को लेकर निश्चिंत दिख रहे हैं। शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “यहां के विधायक पिछले तीन चुनावों से जीत रहे हैं, लेकिन वह आजतक मथुरा की जनता को गंदे पानी से निजात नहीं दिला पाए। हम तो इसी नारे के साथ जनता के बीच जा रहे हैं कि 15 साल मथुरा बदहाल।”
शर्मा ने कहा, “मथुरा कांड भी यहां चुनावी मुद्दा बनेगा। केंद्र की तरफ से मथुरा के सौंदर्यीकरण के लिए 1800 करोड़ रुपये दिए गए, लेकिन वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। जनता बदलाव चाहती है और भगवान कृष्ण की नगरी में इस बार भाजपा बेहतर प्रदर्शन करेगी।”
पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो मथुरा सीट पर कुल 358237 मतदाताओं ने अपने मताधिकार के प्रयोग किए थे। इस दौरान प्रदीप माथुर को सबसे अधिक 54498 वोट मिले थे। भाजपा के उम्मीदवार देवेंद्र कुमार शर्मा यहां दूसरे नम्बर पर रहे थे और उन्हें 53997 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के अशोक अग्रवाल तीसरे नम्बर पर रहे थे और उनको 53049 वोट मिले थे।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ” भाजपा 15 साल मथुरा बेहाल का नारा लेकर जनता के बीच जा रही है, लेकिन वह यह बताने को तैयार नहीं है कि पिछले ढाई वर्षो के दौरान उसने मथुरा के लिए क्या किया? कितने पैसे दिए?”
राजपूत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की हेमा मालिनी यहां से सांसद चुनी गईं। उन्होंने यहां की जनता के लिए क्या किया, जबकि प्रदीप माथुर पिछले तीन चुनावों से लगातार जीत रहे हैं। यदि वह काम नहीं करते तो जनता उन्हें पसंद नहीं करती। माथुर एक कर्मयोगी पुरुष हैं और वह अपने काम के दम पर चौथी बार भी मथुरा से जीत का परचम लहराएंगे।
हालांकि जनता की शिकायतें माथुर से भी हैं। मथुरा के निवासी 34 वर्षीय जगदीश अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, “यहां गंदे पानी की समस्या अधिक है। नालों की सफाई नहीं होती है। गंदा पानी यमुना में प्रवाहित होता रहता है। घरों में भी गंदे पानी की सप्लाई होती है जिससे लोगों के सामने काफी दिक्कतें आती है।”
समाजवादी पार्टी (सपा) ने पहले अशोक अग्रवाल को टिकट दिया था, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन होने की वजह से यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। सपा अब प्रदीप माथुर का समर्थन कर रही है। टिकट कटने के बाद अग्रवाल राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में शामिल हो गए हैं। रालोद ने उनको यहां से टिकट भी दे दिया है। फिलहाल वह भी विरोधियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
इस बीच मथुरा सीट के रालोद प्रभारी श्याम चतुर्वेदी ने आईएएनएस से कहा, “यहां की नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन वे स्थानीय समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं देते हैं। पयर्टन स्थल होने की वजह से हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्घालु यहां आते हैं, फिर भी यहां की बुनियादी समस्याएं अभी तक दूर नहीं हुई हैं।”
इन सबके बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार योगेश द्विवेदी को विश्वास है कि इस बार यहां की जनता बसपा को जिताने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि जवाहरबाग कांड अभी भी लोगों के दिमाग में ताजा है। सपा सरकार में जिस तरह से जमीन पर कब्जे हुए और लूट की खुली छूट दी गई। जनता उसका जवाब जरूर देगी। –आईएएनएस
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