नई दिल्ली, 12 जनवरी | देश के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार 2015 के दौरान देश में 4,13,457 लोग प्राकृतिक और अप्राकृतिक ‘आकस्मिक मृत्यु’ का शिकार हुए हैं।
सरकारी रिकॉर्ड में प्रकृति की शक्तियों के कारण होने वाली मौतों को ‘प्राकृतिक आकस्मिक मृत्यु’ कहा जाता है जबकि मानव द्वारा जानबूझकर या लापरवाह आचरण के कारण होने वाली मृत्यु को ‘अप्राकृतिक आकस्मिक मृत्यु’ कहा जाता है।
एनसीआरबी के भारत में 2015 के आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या के संकलन के अनुसार, इस श्रेणी में 4,13,457 मौतें हुई हैं, जिसके आधार पर हर एक घंटे में 47 लोगों की मौत हुई।
आकस्मिक मौतों के इस आंकड़े 2014 के 4,51,757 की तुलना में 8.5 प्रतिशत गिरावट आई है।
अन्य अप्राकृतिक दुर्घटनाओं जैसे यातायात दुर्घटना, डूबने, आकस्मिक आग, बिजली, हवाई दुर्घटना, भगदड़, खान आपदा, गर्भावस्था के दौरान होने वाली मौतों, जानवरों के कारण, अवैध शराब, सांप के काटने और भोजन की विषाक्तता सहित अन्य कारणों से होने वाली मौतों में 2014 की तुलना में 2015 में 6.6 फीसदी की कमी आई।
4,13,457 आकस्मिक मृत्यु में 10,510 (2.5 प्रतिशत) प्राकृतिक कारणों, 3,36,51 (81.3 प्रतिशत) अप्राकृतिक कारणों और 66,896 (16.2 फीसदी) अन्य कारणों की वजह से हुई।
इन अधिकांश लोगों की आयु 18 और 45 साल के बीच थी। यह समूह में 2015 में सभी अप्राकृतिक होने वाली मौतों के 59.7 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।
महिलाओं और पुरुषों का आंकड़ा 20.6 और 79.4 फीसदी रहा है। इस आंकड़े के प्रति नौ व्यक्तियों में एक को आकस्मिक मृत्यु का सामना करना पड़ा, जो 18 वर्ष की आयु से कम थे।
2015 में विभिन्न दुर्घटनाओं में कुल 37,081 वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और उससे अधिक) की भी मौत हुई।
इस कड़ी में महाराष्ट्र में आकस्मिक मृत्यु की संख्या 64,566 है, जो सबसे ज्यादा और कुल आंकड़े का 15.6 प्रतिशत है। इसके बाद मध्यप्रदेश (40,629) उत्तर प्रदेश (36,982), तमिलनाडु (33,665) और गुजरात में 28,468 मौतें हुई हैं। –आईएएनएस
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