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देश में आदिवासी बच्‍चों में 43.8% बौनापन : स्वास्थ्य राज्‍य मंत्री

राष्‍ट्रीय परिवार एवं स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-4 (2015-16), के अनुसार आदिवासी बच्‍चों में बौनापन 43.8%, , कृश्‍ता  27.4% और कम वजन की व्‍यापकता 45.3%   है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्‍य मंत्री अश्‍विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंगलवार को यह जानकारी दी।

मंत्री द्वारा दिया गया विवरण इस प्रकार है :

ग्रामीण बच्‍चों की तुलना में शहरी बच्‍चों में अधिक वजन का अनुपात उच्‍चतर है, जैसाकि 2.8 प्रतिशत शहरी बच्‍चे अधिक वजन वाले हैं जबकि ग्रामीण बच्‍चे 1.8 प्रतिशत अधिक वजन वाले हैं।

स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू) बच्‍चों में व्‍यापक रूप से फैले हुए कुपोषण का सामना करने के लिए अनेक किफायती कार्यकलापों का कार्यान्‍वयन कर रहा है, जो निम्‍न हैं:

o   मां का संपूर्ण दुलार कार्यक्रम (एमएए) के तहत, स्‍तनपान को बढ़ावा देना, जिसका उद्देश्‍य देश में स्‍तनपान कवरेज और उपयुक्‍त स्‍तनपान परिपाटियों में सुधार करना है।

o   जन-स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा केंद्रों में स्‍थापित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) नामक विशेष इकाइयों पर गंभीर अत्‍यधिक कुपोषण (एसएएम) वाले कमजोर बच्‍चों का उपचार करना।

o   5 वर्ष की आयु तक के बच्‍चों के लिए बिटामिन ए की पूरकता (वीएएस)।

o   जीवन शैली दृष्टिकोण के जरिए कार्यक्रम मोड में बच्‍चों, व्‍यस्‍कों, गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं की पूरकता और एनिमिया के उपचार के लिए ‘‘ राष्‍ट्रीय आयरन प्‍लस पहल (एनआईपीआई)’’।

o   संपूर्ण देश में द्विवार्षिक राष्‍ट्रीय कृमिनाशी दिवसों का आयोजन किया जाता है, जिसमें एडब्‍ल्‍यूसी और स्‍कूलों के प्‍लेटफॉर्म के जरिए 1-19 वर्ष के आयु वर्ग में सभी बच्‍चों के लिए एलबेंड़ाजोल गोलियां वितरित करने के लिए एक नियत  दिवस कार्यनीति अपनाई जा रही है।

o   समकक्ष शिक्षा कार्यक्रम के जरिए राष्‍ट्रीय किशोर स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत स्‍कूली छात्राओं में से स्‍वास्‍थ्‍य एवं स्‍वच्‍छता के संबंध में सूचना प्रदान की जाती है।

o   बच्‍चों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाले माताओं में कुपोषण संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए ग्राम स्‍वास्‍थ्‍य एवं पोषण दिवस और मां एवं शिशु सुरक्षा कार्ड, स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक संयुक्‍त पहल है।

o   स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अधीन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने ‘‘द ईट राईट मूवमेंट’’  की शुरूआत की है, जिसका उद्देश्‍य अत्‍यधिक नमक, चीनी और वसायुक्‍त खाद्यों की अत्‍यधिक खपत जैसे जोखिमकारी कारकों का सामना करते हुए मोटापे को कम करना है।

o   स्‍कूली बच्‍चों के लिए स्‍वस्‍थ खान-पान पर ‘‘द येलो बुक’’ नामक एक पुस्तिका स्‍कूलों में छात्रों के बीच वितरित करने के लिए राज्‍यों को भेजी गई है।

देश में कुपोषण की समस्‍या से निपटने के लिए प्रत्‍यक्ष लक्षित कार्यकलापों के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्‍ल्‍यूसीडी) अम्‍ब्रेला एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के तहत आगंनबाड़ी सेवाओं, किशोरियों संबंधी योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का कार्यान्‍वयन कर रहा है।

मौजूदा योजनाओं के अलावा, बच्‍चों एवं गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं के बीच पोषण संबंधी संकेतकों में सुधार लाने के लिए हाल ही में पोषण अभियान (राष्‍ट्रीय पोषण मिशन) का कार्यान्‍वयन किया है।

इसके अलावा, एमडब्‍ल्‍यूसीडी का खाद्य एवं पोषण बोर्ड अपनी क्षेत्रीय फील्‍ड इकाईयों के जरिए पोषण शिक्षा कार्यक्रमों के माध्‍यम से जागरूकता उत्‍पन्‍न करने के लिए पोषण में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का कार्य कर रहा है।

स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध खाद्य पदार्थों के उपयोग, व्‍यापक जागरूकता अभियनों और इलेक्‍ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के उपयोग के जरिए स्‍वस्‍थ संतुलित आहार को महत्‍व दिया जा रहा है।