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देश में 5.77 करोड़ छोटे व्यवसायी, 60 % के पास कम्प्यूटर नहीं

नई दिल्ली, 4 जून (जनसमा)| जीएसटी एक कम्प्यूटर आधारित कर प्रणाली है । एनएसएसओ 2013 के आँकड़ों के मुताबिक़ देश में 5.77 करोड़ छोटे व्यावसायी हैं  जबकि लगभग 60 प्रतिशत व्यापारियों के पास कम्प्यूटर नहीं है ।  बिना छोटे दूकानदारों और व्यापारियों को ट्रेंड किए जीएसटी योजना कैसे सफल होसकती है? यह सवाल पूछा है व्यापारियों की संस्था   कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ने।

अब जब जीएसटी काउन्सिल ने सर्वसम्मति से देश में एक जुलाई से जीएसटी लगाने का निर्णय ले लिया है और जीएसटी को यदि सफल कर प्रणाली के रूप में विकसित करना है तो सबसे पहले निश्चित रूप से देश भर के व्यापारियों को जीएसटी के मूल भूत सिद्धांतों के बारे में और जी एस टी के पालन हेतु कम्प्यूटर प्रणाली से जोड़ना बेहद ज़रूरी है ।

व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ने इस चुनौती को देखते हुए देश की प्रमुख अकाउंटिंग सॉफ़्ट्वेयर कम्पनी टेली सोल्यूशंस लिमिटेड और कम्प्यूटर हार्डवेयर की प्रमुख कम्पनी एसर इंडिया के साथ मिलकर व्यापारियों को पूर्ण बिज़नेस सोल्यूशन देने का निर्णय लिया है जिसे दिल्ली में आगामी 6 जून को एक शानदार कार्यक्रम में लॉंच किया जाएगा ।इसका नाम बिजगुरू रखा गया है। इसको वित्तीय सहायता से जोड़ने के लिए कैट ने एचडिएफसी बैंक के साथ क़रार किया है ।

एनएसएसओ 2013 के आँकड़ों के मुताबिक़ देश में 5.77 करोड़ छोटे व्यवसायी हैं और यदि इतने बड़े वर्ग को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो निश्चित रूप से जहाँ सरकारों का राजस्व काफ़ी बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर व्यापार के बड़े अवसर उपलब्ध होंगे । इस समय लगभग 60 प्रतिशत व्यापारियों के पास कम्प्यूटर नहीं है जबकि जीएसटी एक कम्प्यूटर आधारित कर प्रणाली है । इतने बड़े वर्ग को बेहद कम समय में कम्प्यूटर से जोड़ना आसान काम नहीं है और इस दिशा में अभी कोई काम सरकार द्वारा शुरू न करने से भी जटिलताएँ सामने आएँगी । जीएसटी की सरलता व्यापारियों पर ही निर्भर हैं क्योंकि उपभोक्ता आधारित प्रणाली होने के कारण व्यापारियों का ही सम्पर्क उपभोक्ताओं के साथ होता है ।

कैट अपने तौर पर गत लम्बे समय से व्यापारियों को कम्प्यूटर अपनाने के लिए एक अभियान चलाए हुए है जिसके अंतर्गत अब तक 123 कॉन्फ़्रेन्स देश भर में हो चुकी है लेकिन सरकार को अपनी ज़िम्मेदारी समझकर इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम करते हुए एक नीति बनानी चाहिए जिससे व्यापारी डिजिटल सिस्टम को अपना सकें ।

सरकार को देश भर में व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर एक बड़ा और व्यापक अभियान शुरू करने में देर नहीं करनी चाहिए जो एक परिवर्तनकारी क़दम साबित हो सकता है !

क्योंकि व्यापारियों के स्तर पर अभी जीएसटी की तैयारियों में भारी कमी है और सरकार की तरफ़ से कोई ख़ास क़दम नहीं उठाए गए हैं इस दृष्टि से सरकार 1 जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018 तक की अवधि को अंतरिम काल घोषित करे ताकि देश भर के व्यापारी आसानी से जीएसटी को अपना सकें। क्योंकि देश की कर प्रणाली में यह एक बड़ा बदलाव है और ऐसे में त्रुटियाँ होना स्वाभाविक है लिहाज़ा इस अवधि में व्यापारियों के ख़िलाफ़ कोई दंडात्मक कार्यवाही न की जाए ।

कैट ने देश भर में जीएसटी सुविधा केंद्र खोलने का भी सुझाव दिया है और इसके लिए व्यापारिक संगठनों के कार्यालयों को प्रयोग में लाने का आग्रह भी किया है !