125 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 7 लाख डॉक्टर हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह कमी और भी गंभीर है। हमारे देश में लगभग 5,000 मनोचिकित्सक और 2,000 से भी कम मनोवैज्ञानिक क्लिनिक हैं। मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में एक बड़ी समस्या है मानव संसाधन की कमी। 125 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 7 लाख डॉक्टर हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह कमी और भी गंभीर है।
यह जानकारी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2 नवंबर, 2017 नई दिल्ली में 21वें विश्व मानिसक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में दी। यह सम्मेलन केयरिंग फाउंडेशन व अन्य संगठनों के सहयोग से वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ द्वारा आयोजित किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम देश में 22 उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण कर रहा है। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भारत के कुल 650 जिलों में से 517 को कवर किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य को जमीनी स्तर पर ले जाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने परामर्श दिया कि मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों से सहानुभूति पूर्वक बात करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि अवसाद तथा मानिसक तनाव जैसी बीमारियों का इलाज हो सकता है। ऐसी बीमारियों को छिपाने की जरूरत नहीं है।
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