नई दिल्ली, 12 सितंबर | रोग मुक्त जीवन के लिए बुजुर्गो में भी टीकाकरण जरूरी है। यह टीका हर साल होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में बेहद मदद करती है। बदकिस्मती से आज भी 50 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को इस टीकाकरण और इसे न लगवाने पर होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी नहीं है। आप जो बोते हैं, वही काटते हैं- यह एक पुरानी कहावत है। यह हमारी सेहत पर भी उतनी ही लागू होती है। जब हम युवा होते हैं तो अपनी सेहत का ध्यान न रखने से होने वाले नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसी के परिणामस्वरूप जब हम बूढ़े हो जाते हैं तो हमें बहुत सारी सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उस वक्त हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार हम यह भी सोचते हैं कि एक बार टीका लेना काफी है। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इस टीकाकरण का असर कम होने लगता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “उम्र बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है। इस वजह से युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र वालों में रोकी जा सकने वाली बीमारियां होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।”
लाइब्रेरी से : तपेदिक के खिलाफ लड़ाई के इतिहास में सबसे तेज टीकाकरण अभियान 1953 में दिल्ली में लागू किया गया। बीसीजी टीकाकरण अभियान का 23 फरवरी, 1953 को दिल्ली की सब्जी मंडी इलाके में उद्घाटन किया गया।
उन्होंने कहा, “अगर वह पहले से जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे कि दिल की बीमारियां, हाईपरटेंशन, डायबिटीज या ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी डिजीज से जुड़ जाती हैं तो यह जानलेवा साबित हो सकता हैं। आम तौर पर होने वाली बीमारियां फ्लू, हैपेटाइटिस-ए, हैपेटाइटिस-बी होती हैं। इन हालतों को देखते हुए कुछ टीका 65 साल की उम्र के बाद देनी जरूरी हो जाती है। बच्चों को चाहिए कि उनके अभिभावक यह टीका लें ताकि वह लंबी और सेहतमंद जिंदगी जी सकें।”
टीकाकरण करवाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें :
* फलू वैक्सीन 6 महीने या उससे बड़े सभी व्यक्तियों को देने की सलाह दी जाती है।
* निमूनिया वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को दी जानी चाहिए।
* टेटनस टॉक्साईड हर 10 साल बाद देते रहना चाहिए।
* अगर पहले ना लगी हो तो सभी को हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए।
* 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले को डायबिटीज है तो उन्हें हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए। आगे चल कर ब्लड ग्लूकोज की मॉनीटरिंग की अधिक आवश्यकता के लिए यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।
* जिन लोगों को क्रॉनिक लीवर डिसीज है उन्हें भी हैपेटाइटिस-बी की वैक्सीन देनी चाहिए।–आईएएनएस
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