रायपुर, 23 जून (जनसमा)। छत्तीसगढ़ सरकार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह निर्णय भी लिया है कि बारह साल से अधिक पुरानी बसों और दस वर्ष से पुराने ट्रकों को कोई परमिट नहीं दिया जाएगा। बसों के परिचालन मार्गो की लम्बाई चाहे कितनी भी हो। लंबी दूरी के मार्गों पर बारह वर्ष से ज्यादा पुरानी बसों को पूर्व से ही परमिट नहीं दिया जा रहा है।
बुधवार को यहां अपने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ट्रक मालिकों को वाहन परिवर्तन के लिए एक वर्ष का समय दिया जाएगा। अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ आने वाले आठ वर्ष से पुराने व्यावसायिक परिवहन वाहनों का राज्य में पंजीयन नहीं किया जाएगा।
बैठक में रायपुर, दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर शहरों में दस वर्ष पुराने सभी डीजल चलित परिवहन वाहनों, आटो और छोटे माल वाहक वाहनों को चलाने का परमिट नहीं देने का भी निर्णय लिया गया। इन वाहनों के परिवर्तन के लिए एक वर्ष की सीमा तय की गयी। इस सीमा के बाद इन वाहनों को चलाने का परिमिट नहीं दिया जाएगा। इन शहरों में ई-रिक्शा को प्रोत्साहित करने और पुराने वाहन मालिकों के लिए नये वाहनों की खरीदी के लिए शहरी विकास विभाग योजना तैयार करेगा।
इस अवसर पर आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव तथा छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष अमन कुमार सिंह ने रायपुर शहर में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के पांच मुख्य कारक हैं, जिनमें औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन उत्सर्जन, विभिन्न निर्माण गतिविधियां, नगरीय ठोस अपशिष्ट और घरेलू एवं कृषि अपशिष्ट शामिल हैं।
डॉ. रमन सिंह ने बैठक में इन कारकों पर नियंत्रण के लिए सभी संबंधित विभागों को ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। राज्य में पुराने वाहनों पर पाबंदी लगाने और रायपुर के आस-पास अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद करने का निर्णय भी लिया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि रायपुर के आस-पास स्थापित औद्योगिक इकाईयों से फैलने वाले प्रदूषण की ऑन लाईन निगरानी की जाए। यदि माह में दो बार से अधिक इन इकाईयों से निर्धारित माप दण्ड से उत्सर्जन अधिक पाया जाता है, तो ऐसी इकाईयों को बंद करने के लिए ठोस कार्रवाई की जाए।
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