चंडीगढ़, 8 अक्तूबर (जस)। हरियाणा ग्रंथ अकादमी प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान 50 नये ग्रंथों के प्रकाशन की योजना पर कार्य कर रही है। इस कार्य में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के वरिष्ठ प्राध्यापकों और वैज्ञानिकों की मदद ली जायेगी। इसी क्रम में पुस्तकों के डिजिटाइजेशन की भी एक वृहद परियोजना तैयार की जा रही है।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह चौहान ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वरिष्ठ शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों के साथ इस संदर्भ में आयोजित विचार- विमर्श के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा ग्रंथ अकादमी विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों व शब्दकोशों के प्रकाशन का कार्य करने के लिए गठित हरियाणा सरकार की एक स्वायत्तशासी संस्था है जो हरियाणा के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है। इसके अलावा अकादमी राज्य में हिन्दी सहित विभिन्न भाषाओं के साहित्य निर्माण व पठन-पाठन को बढ़ावा देने का काम भी करती है। वर्तमान केन्द्र और राज्य की सरकारें हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को उनका गौरवमयी स्थान दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में व्यवहारिक व गंभीर प्रयास आरम्भ हो गए हैं।
संवाद में विश्वविद्यालय की प्रकाशन समिति की संयोजक डॉ. नीलम खेतरपाल ने कहा कि कृषि विज्ञान के सभी पाठ्यक्रम हालांकि अंग्रेजी में पढ़ाए जा रहे हैं लेकिन हिन्दी की दिशा में कदम बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय के छह प्रकाशन हिन्दी में प्रदेश व देश की जनता को समर्पित किये जाएंगे। खरीफ और रबी की फसलों के संबध में समग्र सिफारिशें किसानों के लिए बहुत उपयोगी होंगी और यह दो अलग-अलग पुस्तकों के रूप में आयेंगी। इसी प्रकार गृह-विज्ञान और सब्जियों के सबंध में एक-एक पुस्तक का प्रकाशन किया जायेगा। कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक उसकी उपलब्धियों को चित्रित करता एक ग्रंथ जिसका प्रकाशन केवल अंग्रेजी में प्रस्तावित था, अब उसे हिन्दी में भी लाया जायेगा। इसी क्रम में एक कृषि विज्ञान शब्दकोश के प्रकाशन की योजना भी बनाई जायेगी।
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