रायपुर, 27 अक्टूबर (जस)। किसी भी व्यक्ति को उसके सम्पूर्ण विकास के लिए शिक्षित होना जरूरी है। इनके शिक्षित होेने पर ही वे अपनी क्षमता और प्रतिभा का पूरा-पूरा उपयोग कर सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में 29 दिसम्बर 2009 से साक्षर भारत कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो वर्तमान में धमतरी, दुर्ग, बालोद तथा बेमेतरा जिले को छोड़कर अन्य सभी 23 जिलों में लागू है।
कार्यक्रम के तहत साक्षरता के माध्यम से प्रदेश में व्यक्ति को न केवल पढ़ने-लिखने तथा अंक ज्ञान में आत्म निर्भर बनाया जा रहा है, वरन् इससे भी बढ़कर कार्यात्मकता-सशक्तिकरण और आगे सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके माध्यम से 80 प्रतिशत साक्षरता को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। जेण्डर गैप को 10 प्रतिशत कम कर क्षेत्रीय सामाजिक तथा आर्थिक असमानता को भी दूर किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 23 जिलों में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 33 लाख 14 हजार 993 असाक्षरों में से अब तक 27 लाख 45 हजार 29 को बुनियादी साक्षरता प्रदान किया जा चुका है।
राज्य में साक्षर भारत कार्यक्रम 23 जिलों के 130 विकासखंड के अंतर्गत आठ हजार 401 ग्राम पंचायतों में संचालित है। इसके तहत आठ हजार 401 लोक शिक्षा केन्द्र तथा तीन लाख 31 हजार 498 साक्षरता केन्द्र बनाए गए हैं, जिसमें 16 हजार 802 प्रेरक, तीन लाख 31 हजार 498 अनुदेशक और 288 कार्यक्रम समन्वयक कार्यरत हैं।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व और स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के सफल मार्गदर्शन में साक्षर भारत कार्यक्रम का क्रियान्वयन हो रहा है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ ने देश में फिर एक बार राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया और राज्य को प्रतिष्ठित साक्षर भारत पुरस्कार 2016 के लिए चुना गया। साक्षरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यो को देखते हुए 8 सितम्बर 2016 को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के करकमलों से यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
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