भारत में जम्मू एवं कश्मीर के विलय के 70 वर्ष हो जाने पर संस्कृति राज्य मंत्री एवं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने आज यहां ‘इंडिया@70: दी जम्मू एंड कश्मीर सागा’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। एक महीने चलने वाली इस प्रदर्शनी की रचना भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने की है।
संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने इतने दिलचस्प और दिलकश तरीके से भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के ब्यौरे को प्रस्तुत करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के प्रयासों की सराहना की। मंत्रीने कहा कि सुंदरता के साथ रचित इस प्रदर्शनी से देश के युवाओं को यह समझने में आसानी होगी कि कैसे विभिन्न रजवाड़े भारत में शामिल हुए।
डॉ. महेश शर्मा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया। मंत्री ने कहा कि इन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों की बदौलत आज राष्ट्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग है और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में उसके विलय को बहुत खूबसूरती के साथ पेश किया गया है।
इस संवादमूलक डिजिटल प्रदर्शनी के जरिये भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार का उद्देश्य है कि कश्मीर विवाद पर ऐतिहासिक प्रस्तुति की जाए, युवा पीढ़ी को इस विषय में संवेदनशील बनाया जाए और उन्हें हमारे सशस्त्रबलों तथा आम नागरिकों के राष्ट्रप्रेम, वीरता और बलिदान के प्रति जागरूक किया जाए।
प्रदर्शनी में दर्शकों का प्रवेश 1947-48 की वीथिका से होता है, जहां कश्मीर विवाद से संबंधित मूल पत्रों, टेलीग्रामों और दुर्लभ दस्तावेज देखने को मिलते हैं। इन दस्तावेजों के साथ पुरानी तस्वीरें, दस्तावेजी नक्शे, सैन्य नक्शे, अखबारी रिपोर्टें और कश्मीर पर असंख्य पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं, जो पूरे इतिहास को दर्शाती हैं। पूरी दास्तान उन परिस्थितियों से गुजरती है जिससे आखिरकार जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हो जाता है। इसमें विलय के बाद की कार्रवाइयों का भी ब्यौरा है, जो देश की अखंडता की सुरक्षा तथा जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों से संबंधित हैं।
रक्षा मंत्रालय के इतिहास प्रभाग ने भी जम्मू-कश्मीर अभियान, 1947-48 से संबंधित युद्ध डायरियों, संदेशों सहित दुर्लभ और मूल्यवान दस्तावेजों को आम जनता के लिए पहली बार पेश किया है।
प्रदर्शनी में 11 मार्च, 1846 की लाहौर संधि, 16 मार्च, 1846 की अमृतसर संधि, 27 अक्टूबर, 1947 का विलय-समझौता तथा नव-स्वाधीन भारत और पाकिस्तान तथा नए राज्य में अपने विलय के पहले ब्रिटिश शासन के अधीन रजवाड़ों से संबंधित समझौते भी रखे गए हैं। परमवीर चक्र, वीर चक्र विजेताओं की सूची और उनकी जीवनगाथा भी देखी जा सकती हैं। प्रदर्शनी में शंकर की निगाह से पेश की गई जम्मू-कश्मीर की गाथा भी आकर्षण का केंद्र है।
प्रदर्शनी का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, जनपथ, नई दिल्ली में किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी निशुल्क है और 10 फरवरी, 2018 तक रविवार सहित सभी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुली रहेगी।
Follow @JansamacharNews