शिमला 12 जुलाई (जनसमा)। वे 11 बार गिरफ्तार हुए और 9 साल जेल में रहे लेकिन पहाड़-पहाड़ घूम कर आजादी की अलख जगाने का अभियान कभी नहीं छोड़ा। ये थे पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम। उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक भारतवर्ष आजाद नहीं हो जाता, तब तक वह काले कपड़े ही पहनेंगे। और वे काले कपड़ों में रहते हुए ही परलोक चले गए।
पहाड़ी बाबा का जन्म 11 जुलाई 1882 को हुआ था तथा 15 अक्टूबर ,,1943 को उनका देहांत होगया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार ने बाबा कांशी राम की 11 जुलाई को 135वीं जयंती के अवसर पर उनके घर का अधिग्रहण करने, इसका सरंक्षण तथा उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाने का निर्णय लिया है।
साभार : यह फोटो विकिपीडिया से ली गई है।
बाबा कांशी राम की क्रांतिकारी लाला लाजपत राय, सरदार अजीत सिंह और लाला हरदयाल से भी उनकी मुलाकातें हुईं। ये सभी ऐसे क्रांतिकारी थे, जो ब्रिटिश राज की बंदूकों के सामने झुके नहीं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बताया कि राज्य सरकार पहाड़ी गांधी के नाम से लोकप्रिय बाबा कांशी राम के पैतृक आवास का अधिग्रहण करेगी। कांगड़ा जिला के देहरा उप-मंडल के डाडासीबा में जन्में बाबा कांशी राम महात्मा गांधी के महान प्रशंसक तथा आजादी के आन्दोलन के एक प्रवर्तक थे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के उपरांत उन्होंने महात्मा गांधी के संदेश को उनकी कविताओं व गीतों के माध्यम से पहाड़ी भाषा में जन जन में फैलाया। महात्मा गांधी के संदेश का उनपर गहरा प्रभाव था।
पहाड़ी कविताओं और छंदों के माध्यम से ब्रिटिश राज के विरूद्ध देशभक्ति का संदेश फैलाने के लिए उन्हें 11 बार गिरफ्तार किया गया और उन्होंने अपने जीवन के लगभग 9 वर्ष विभिन्न जेलों में बिताए।
पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी वर्ष 1984 में बाबा कांशी राम के नाम पर डाक टिकट जारी किया था।
Follow @JansamacharNews