चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोविड-19 (COVD-19) से बचाव के लिए गिलोय (Giloy) का उपयोग करने की सलाह दी है।
आयुर्वेद में गुडूची नाम से विख्यात गिलोय (Giloy) का उपयोग औषधियों में होता है।
गिलोय (Giloy) जहाँ इम्युनिटी बढ़ाती है वहीं पाचन क्रिया ठीक करती है। सांस संबंधी रोगों में गिलोय लाभदायक ( Giloy Benefits) है, गठिया के रोगियों को लााभ पहुँचाती है अस्थमा में भी उपयोगी है।
गिलोय (Giloy) का विभिन्न प्रकार के बुखारों, वायरल बुखार, मलेरिया आदि तथा मधुमेह में उपयोग किया जाता है।
यह अर्क , पाउडर या क्रीम के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। इसके लाभ और उपयोग भी एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) द्वारा अनुमोदित किए गए हैं।
फार्मास्युटिकल कंपनियों में इसकी भारी मांग है।
गिलोय (Giloy) को वनस्पति शास्त्र में टीनोस्पोरा कोर्डिफ़ोलिया (Tinospora Cordifolia)कहते हैं और इसे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के नाम से भी जाना जाता है।
संस्कृत में गिलोय (Giloy) को ‘अमृता’ के रूप में जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है अमरता की जड़।
गिलोय में औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसका उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों में किया जाता है।
सामान्यतः गिलोय के तने का उपयोग किया जाता है किन्तु इसकी जड़ भी उपयोगी होती है।
महाराष्ट्र के थाणे जिले में आदिवासी लोग इस वन उपज को इकट्ठा करके विभिन्न प्रकार के संस्थानों को देते हैं।
थाणे जिले में शाहपुर की ‘आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था’ गिलोय और अन्य उत्पादों का विपणन करती है।
संस्था के कार्यकर्ता सुनील पवार और उसके मित्रों ने गिलोय को स्थानीय बाजारों में बेचने का यह उद्यम आरंभ किया।
इस बीच अरुण पानसरे नामक एक सह्रदय व्यक्ति ने उनके प्रयासों को देखा और उन्हें कार्यालय खोलने के लिए एक स्थान की पेशकश की।
जैसे ही उन्होंने बाजार क्षेत्र के निकट स्थित एक कार्यालय से काम करना आरंभ किया, केतकरी जनजाति समुदाय के समूह संस्था के साथ जुड़ने लगे।
सुनील पवार का कहना है कि ‘हमारी योजना डी-मार्ट जैसे बड़े रिटेल चेनों की सहायता से गिलोय को दूर दराज के बाजारों तक ले जाने की है।’
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