सूर्याबेड़ा गांव (Suryabeda village) में आजादी (independence) के 74 साल बाद आखिर बिजली (electricity) पहुंची और गांव रोशनी से जगमगाने लगा।
सूर्याबेड़ा गांव झारखंड के जमशेदपुर जिले में मुसाबनी प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 कि.मी दूर घने जंगल और पहाड़ की तलहटी में बसा हुआ है।
सूर्याबेड़ा गांव (Suryabeda village) शाम होने के बाद अंधकार में समा जाता था तथा जहां ढिबरी-बाती ही रात में पढ़ाई करने के लिए बच्चों के पास एकमात्र विकल्प था, उस गांव में बिजली पहुंचने से बच्चे बल्ब की रोशनी में पढ़ाई कर पा रहें हैं।
ग्रामीण कहते हैं कि बिजली पहुंचने से पहले संध्या होने के बाद न तो कोई ग्रामीण गांव से निकलना चाहता था और ना ही कोई प्रखंड मुख्यालय से गांव की ओर आता था।
पहले शाम ढलते ही सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद होने को विवश थे, लेकिन अब स्ट्रीट लाईट लग जाने से बच्चे-बुजुर्ग सभी रात में भी घर के बाहर बैठकर एक दूसरे के साथ समय व्यतीत कर पाते हैं।
सूर्याबेड़ा गांव के करीब 60 फीसदी बच्चों को कस्तूरबा विद्यालय में उच्च शिक्षा से जोड़ा गया है। साथ ही, वर्तमान में गांव में ही रहकर पढ़ाई करनेवाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके द्वारा खेल प्रतियोगिता की शुरूआत की गई है।
सूर्याबेड़ा गांव तक जानेवाली सड़क का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। पेजयल की समस्या को देखते हुए डीप बोरिंग, चापाकल एवं सिंचाई कूप का निर्माण मनरेगा योजना के अन्तर्गत कराया गया है।
दीदीबाड़ी योजना के अन्तर्गत उक्त गांव में सब्जी की खेती भी कराई जा रही है।
रोजगार के लिए सभी ग्रामीणों का मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाया गया है, ताकि सभी को अपने पंचायत एवं गांव में ही रोजगार मिल सके।
वहीं 500 फीट का पीसीसी पथ भी 15वें वित्त आयोग से स्वीकृत है। मनरेगा के तहत पशु शेड निर्माण का भी लाभ ग्रामीणों को दिया गया है।
मुख्यमंत्री के आदेश से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में विकास योजनाओं को क्रियान्वित किया रहा है। सूर्याबेड़ा गांव का विकास सभी क्षेत्र के लिए रोल मॉडल होगा।
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