नई दिल्ली, 13 दिसम्बर | राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मंगलवार को तीन दिन की छुट्टी के बाद खुले बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं। बैंक शनिवार, रविवार और ईद मिलाद-उन-नबी के कारण सोमवार तक लगातार बंद रहे थे।
अधिकांश बैंकों के बाहर लटकी ‘नो कैश’ (पैसा नहीं) की तख्तियों ने लोगों में घोर निराशा भरी।
पैसे की आस में बैंक के बाहर सुबह 10 बजे से खड़े राम कृष्ण महतो ने आईएएनएस से पूछा, “बैंकों में लोगों के लिए पैसा क्यों नहीं है?”
उन्होंने बैंक कर्मियों पर उंगली से इशारा करते हुए आरोप लगाया कि ‘वे जरूर पीछे के दरवाजे से पैसे दे रहे हैं।’
कनॉट प्लेस स्थित आईसीआईसीआई बैंक की शाखा शहर के कई अन्य बैंकों में से एक रही जो खुलने के कुछ घंटे के भीतर ही ‘कैशलेस’ हो गई और उसने नकदी का वितरण बंद कर दिया।
पैसों की किल्लत से परेशान लोग नकदी समाप्त होने की घोषणा पर बैंक गार्ड और अन्य स्टाफ के सदस्यों के साथ बहस करते नजर आए।
भीड़ के प्रबंधन के लिए कुछ बैंकों में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया गया है।
यही दृश्य एनसीआर में भी एटीएम पर नजर आया।
बैंकों के खिलाफ लोगों की नाराजगी के बीच नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा है कि सभी बैंक कर्मचारी गलत कार्यो में लिप्त नहीं हैं और वह निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।
मुद्राओं को बदलने में कुछ बैंक अधिकारियों और असामाजिक तत्वों के बीच कथित गठजोड़ की खबरों का हवाला देते हुए राणा ने कहा, “कुछ अधिकारियों के शर्मनाक कृत्यों के कारण बैंकों और सभी 10 लाख बैंक कर्मचारियों दोष मत दीजिए। हमने सरकार से जांच करने का निवेदन किया है, जिससे दोषी सामने आएं और उन्हें सजा दी जाए।” –आईएएनएस
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