चेन्नई, 13 दिसम्बर | चेन्नई में तूफान ‘वरदा’ के दस्तक देने के एक दिन बाद मंगलवार को जब लोग सुबह उठे तो उन्हें एक अलग ही मंजर दिखाई दिया। हर जगह टूटे हुए पेड़ पड़े थे, जिनसे सड़कें बधित थी। यहां-वहां साइन बोर्ड और होर्डिग्स पड़े हुए थे। परिसरों की दीवारें क्षतिग्रस्त थीं। टूटे हुए पेड़ों के नीचे दबे वाहन थे, बिजली और दूध की आपूर्ति बाधित थी।
रिहायशी कॉलोनियों में रहने वाले लोग तूफान वरदा से मची तबाही को देखकर दंग थे और परिसरों में टूटे पड़े पेड़, पौधों और टहनियों को उठा रहे थे।
रिहायशी इलाकों में टूटे हुए पेड़ों को देख रहे कारोबारी ए.विश्वनाथ ने कहा, “ऐसा लगा रहा है जैसे हम जंगल के बीच में हों।”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि 4,000 से अधिक पेड़ उखड़ गए हैं।
स्थानील लोगों के मुताबिक, यह संख्या बढ़ भी सकती है।
हालांकि, प्रशासन ने यातायात के लिए सड़कों पर टूटे पड़े पेड़ हटा दिए हैं। रिहायशी इलाकों से इन्हें हटाने में अभी कुछ दिनों का समय लग सकता है।
बस सेवाएं दोबारा शुरू कर दी गई हैं। हालात सामान्य होने में अभी कुछ और समय लगेगा।
जिस स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललिता को दफनाया गया है वहां चक्रवाती तूफान के बावजूद कैनोपी अपनी जगह पर ही है।
जयललिता को दफनाए गए स्थान के आसपास पानी आने से रोकने के लिए रेत से भरे कई बैग चारों ओर लगाए गए हैं।
सरकार ने चेन्नई, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए अवकाश की घोषणा की है।
हालांकि, दुकानें और होटल खुले हुए हैं। कुछ होटलों ने भुगतान के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड लेने से इनकार कर दिया है। –आईएएनएस
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