लखनऊ, 31 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ‘ड्रीम’ परियोजना आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे ‘ट्रायल रन’ में कामयाब रहा। एक्सप्रेसवे को अब 22 नवंबर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इसके बाद लखनऊ-आगरा के बीच छह लेन पर वाहन चल सकेंगे। जनता को समर्पित करने से पहले मुख्यमंत्री खुद इस पर गाड़ी चलाकर कर सुनिश्चित करना चाहते थे कि कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई है।
उन्होंने शनिवार को एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया। तीसरी बार हकीकत का जायजा लेने के लिए उन्होंने खुद गाड़ी चलाई। इससे पहले इस साल मुख्यमंत्री ने एक्सप्रेसवे पर अपना हेलीकाप्टर उतरवाया था।
यह देश का पहला एक्सप्रेसवे है, जो रिकार्ड समय में बनकर तैयार हुआ है। इसके बनने में केवल 22 महीने लगे हैं।
प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल का कहना है कि जमीन देने में किसानों के सकारात्मक रुख से परियोजना को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिली। प्रदेश सरकार ने किसानों का पूरा ख्याल रखा है। इसी तर्ज पर सरकार अब लखनऊ से बलिया तक बनने जा रहे समाजवादी पूर्वाचल एक्सप्रेसवे के लिए जमीन का अधिग्रहण करेगी।
लखनऊ से आरंभ होकर एक्सप्रेसवे उन्नाव, हरदोई, कानपुर, कन्नौज, औरैया, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद होकर आगरा तक बना है।
एक्सप्रेस-वे लखनऊ उन्नाव सीमा पर सरोसा गांव से शुरू होकर आगरा के ग्राम एतमादपुर मदरा पर खत्म होगा। 302 किलोमीटर लंबे एक्सप्रसवे के निर्माण पर 9059 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसमें जमीन की लागत व अन्य दूसरे खर्चे शामिल नहीं हैं। इसके अलावा एक्सप्रेस वे के दोनों ओर डिवाइडर कैरिज-वे, इंटरचेंज अंडरपास, हरित पट्टी, विश्राम गृह, पेट्रोल पंप, किसान मंडी व आईटी सिटी बनाने की भी योजना प्रस्तावित है।
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