बृजेन्द्र रेही द्वारा लिखित और संपादित —– अजातशत्रु, युग पुरुष और पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरूवार को नई दिल्ली में देहांत होगया। वे 93 साल के थे।
25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल जी के पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता श्रीमती कृष्णा देवी था।
अटल जी को 11 जून को यूटीआई इंफेक्शन और किडनी संबंधी बीमारियों के कारण दिल्ली में एम्स में भर्ती किया गया था।
बुद्धवार शाम और गुरूवार दोपहर को प्रधान मंत्री मोदी भी उनको देखने के लिए एम्स गये थे। गुरूवार दोपहर को 45 मिनिट तक प्रधान मंत्री एम्स में रहे और 2 बजकर 42 मिनिट पर एक काली कार से एम्स से रवाना हुए।
गुरूवार को केन्द्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्य मंत्री, विशिष्ट जनों के अलावा अटल जी के सहयोगी और पूर्व उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण अडवाणी भी उन्हें देखने के लिए एम्स गए।
मंगलवार से ही अटल जी की हालत काफी नाजुक होगई थी। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।
1996 में प्रधान मंत्री पद की शपथ दिलाते तत्कालीन राष्ट्पति डाॅ. शंकर दयाल शर्मा
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी
लेखक, कवि, पत्रकार और सहृदय राजनीतिज्ञ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे पहले नेता थे, जिन्होंने गठबंधन की गैर कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया था।
पहली बार वे 16 मई से 1 जून, 1996 तक प्रधानमंत्री रहे।
दूसरी बार 19 मार्च, 1998 से 22 मई, 2004 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभालते रहे
सर्वोच्च राष्ट्रीय अलंकरणों और अनेक पुरस्कारों से सम्मानित वाजपेयी जी पहली बार 1957 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे 5वीं, 6ठी और 7वीं लोकसभा के सदस्य रहे। इसके बाद फिर वे 10वीं, 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
इसके अलावा वे 1962 तथा 1986 में 6-6 साल के लिए राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
यह भी एक खास बात है कि वाजपेयी जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे थे, जो देश के 4 राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और दिल्ली से चुनाव लड़े।
राजनीतिक दल की बात करें तो वाजपेयी जी 1951 से भारतीय जनसंघ के
संस्थापक सदस्यों में रहे। इसके अलावा 1968 से 1973 के बीच वे भारतीय
जनसंघ के अध्यक्ष भी चुने गए। वे विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए थे और संघ के कार्यों में निरंतर सक्रिय रहे।
वे 1955 से 1977 तक जनसंघ संसदीय दल के नेता रहे। आपातकाल के बाद
1977 में बनी जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से भी वे एक हैं। जनता पार्टी के विघटन के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए। उनका कार्यकाल 1980 से 1986 तक रहा।
11वीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल के दौरान वे विपक्ष के नेता रहे।
इसके अलावा वे 1980 से 1984, 1986 और 1993 से 1996 के बीच भाजपा संसदीय दल का नेतृत्व करते रहे। वाजपेयी जी मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में 24 मार्च, 1977 से 28 जुलाई 1979 तक विदेश मंत्री भी रहे।
संयुक्त राष्ट्र संघ में राष्ट्रभाषा हिंदी में भाषण देकर देश का गौरव बढ़ाने वाले अटल विहारी वाजपेयी की लोकप्रियता भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू
और इंदिरा गांधी से किसी भी तरह कम नहीं रही।
उन्हें भारतीय राजनीति में एक करिश्माई जन नेता के रूप में याद किया जाता है। ऐसे नेता के रूप में जिसे पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक देश के हर कोने में जाना जाता है और माना जाता है।
यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि वाजपेयी जी भारतीय जनमानस में एक
भरोसेमंद नेता के रूप में याद किए जाते हैं जो देश की धड़कन और जन-जन की
भावनाओं को समझता है।
वाजपेयी जी राजनीति से कुछ सालों पहले ही सन्यास ले चुके थे और दिल्ली में 6-ए, कृष्णा मेनन मार्ग पर रहते थे।
वाजपेयी जी के राजनीतिक जीवन के मुख्य बिंदु
1951, भारतीय जनसंघ के संस्थापक।
1957, दूसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
1957 से 77, भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता।
1962, राज्यसभा सदस्य।
1967, चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
1968 से 1973, भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष।
1971, पांचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1977, छठी लोकसभा के लिए चुने गए।
1977 से 1979 तक विदेश मंत्री।
1977 से 1980, जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य।
1980, सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1980 से 1986, भारतीय जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष।
1980 से 1984, 1986 और 1993 से 1996 तक भाजपा संसदीय दल के नेता।
1986, राज्यसभा के लिए चुने गए।
1991, दसवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1993 से 1996, लोकसभा में विपक्ष के नेता।
1996, ग्यारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
16 मई से 31 मई 1996 तक पहली बार प्रधामंत्री बने।
1996-1997, लोकसभा में विपक्ष के नेता।
1998, बारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1998-99, प्रधानमंत्री रहे।
1999 में तेरहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
13 अक्टूबर, 1999 से 13 मई, 2004 तक प्रधानमंत्री रहे।
अलंकरण और पुरस्कार
पद्म विभूषण (1992),
लोकमान्य तिलक पुरस्कार (1994),
श्रेष्ठ संसद सदस्य पुरस्कार (1994),
भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार (1994),
भारत रत्न (2014),
बांग्लादेश का फ्रेंड्स आॅफ बांग्लादेश (2015) आदि हैं।
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