“इतिहास ने स्कंद गुप्त (Skandagupta) के साथ अन्याय किया, यह दुर्भाग्य है कि उनके पराक्रम की जितनी प्रशंसा होनी चाहिए थी वह नहीं हुई।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में गुप्तवंश के वीर ‘’स्कंद गुप्त विक्रमादित्य’’ (Guptvanshak Veer: Skandagupta Vikramaditya) पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए यह भी कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu Viswavidyalaya) ने हिंदू संस्कृति को अक्षुण्ण रखने, उसे पूरी दुनिया में आगे बढ़ाने का काम किया है।
शाह ने कहा कि भारत अध्ययन केंद्र (Bharat Adhyayan Kendra) के द्वारा सम्राट स्कंद गुप्त (Skandagupta) के व्यक्तित्व पर विचार विमर्श करने तथा उनके साहित्य को इकट्ठा करने का काम किया जा रहा है जो अत्यंत सराहनीय है।
उनका कहना था कि सम्राट स्कंद गुप्त (Skandagupta) ने भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य तथा शासन व्यवस्था को हमेशा के लिए बचाने का काम किया।
शाह ने कहा कि महाभारत काल के 2000 साल बाद का कालखंड मौर्य वंश और गुप्त वंश, दो बड़ी शासन व्यवस्थाओं के नाम से जाना जाता है तथा दोनों वंशों ने उस समय के विश्व में भारतीय संस्कृति को उच्च स्थान पर रखा|
शाह ने कहा कि आचार्य चाणक्य के सपने को साकार करने में गुप्त वंश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उनका कहना था कि हूणों के हमले के दौरान जब क्रूरता की हद थी, संस्कृति और संस्कार के विनाश का काम किया जा रहा था तब स्कंद गुप्त (Skandagupta) ने हूणों का सामना किया और समस्त हूणों को देश से बाहर कर दिया जिसके कारण हूणों को पहली बार पराजय का स्वाद चखना पड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि स्कंद गुप्त (Skandagupta) ने सुखी और समृद्ध भारत की कल्पना की थी जिसके कारण वह महान हुए और उन्हें वैश्विक स्तर पर भी सम्मान प्राप्त हुआ।
अमित शाह ने कहा कि “हूणों के हमले के दौरान जब क्रूरता की हद थी, संस्कृति और संस्कार के विनाश का काम किया जा रहा था तब स्कंद गुप्त (Skandagupta) ने हूणों का सामना किया और जिसके कारण हूणों को पहली बार पराजय का स्वाद चखना पड़ा।”
अमित शाह ने कहा कि इतिहास (History) का लक्षण है कि जो शासन व्यवस्था को परिवर्तित करता है उसी का संज्ञान लिया जाता है।
“भारतीय दृष्टिकोण (Indian point of view) से इतिहास (history ) लिखना महत्वपूर्ण है और किसी को दोष देने का प्रयास किये बगैर भारतीय दृष्टि से इतिहास लिखने का काम होना चाहिए।”
उन्होंने शिवाजी महाराज सहित कई महान व्यक्तित्वों के संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण साम्राज्यों के साहित्य का संग्रह होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को सही जानकारी प्राप्त हो सके।
उनका कहना था कि उन्नीस सौ सत्तावन की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम वीर सावरकर द्वारा दिया गया था।
अमित शाह ने कहा कि विभिन्न कालखंडों के इतिहास का लेखन करने के लिए मेहनत की दिशा केंद्रित करनी होगी और नया इतिहास लिखा जाएगा वह लंबा, चिरंजीव तथा लोकभोग्य होगा।
अमित शाह का कहना था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ा है और अब दुनिया भारत के विचारों को महत्व देती है। उनका कहना था कि महामना मदन मोहन मालवीय ने कहा था कि समस्त समस्याओं का समाधान हमारी संस्कृति में है जो सर्वथा सच है|
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