Eclips

देश के दक्षिण में सूर्य का वलयाकार ग्रहण 26 दिसम्बर को, शेष में आंशिक सूर्य ग्रहण

देश के दक्षिणी भाग में सूर्य का वलयाकार ग्रहण (annular eclipse of the Sun ) 26 दिसम्बर को   दिखाई देगा, जबकि देश के शेष भागों में  आंशिक सूर्य ग्रहण (partial solar eclipse)   दिखाई देगा।

सूर्य का वलयाकार ग्रहण (annular eclipse of the Sun ) 26 दिसम्बर, 2019 (5 पौष, शक संवत 1941) को घटित होगा ।

भारत में सूर्य की वलयाकार (annular of the sun) स्थिति प्रात: सूर्योदय के पश्चात देश के दक्षिणी भाग (Southern part)  में कुछ स्थानों (कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु के हिस्सों) के संकीर्ण गलियारे (narrow corridor) में दिखाई देगी तथा देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण (partial solar eclipse)  के रूप में दिखाई देगा ।

सूर्य (Solar) का वलयाकार  (annular) ग्रहण ( eclipse )की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों यथा कन्नानोर, कोयम्बटूर, कोझीकोड़, मदुराई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली इत्यादि से होकर गुजरेगा ।

भारत में सूर्य का वलयाकार ग्रहण (annular eclipse of the Sun )  की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा सूर्य को लगभग 93% आच्छादित कर देगा ।

Symbolic image  : Courtesy NASA video

वलयाकार पथ से देश के उत्तर एवं दक्षिण की ओर बढ़ने पर आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि घटती जाएगी ।

आंशिक सूर्य ग्रहण(partial solar eclipse)  की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन बंगलोर में लगभग 90%, चेन्नई में 85%, मुम्बई में 79%, कोलकाता में 45%, दिल्ली में 45%, पटना में 42%, गुवाहाटी में 33%, पोर्ट ब्लेयर में 70%, सिलचर में 35% इत्यादि होगा ।

यदि पृथ्वी को सम्पूर्ण माना जाए तो ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भारतीय मानक समय अनुसार प्रात: 8.00 बजे आरम्भ होगी ।

ग्रहण की वलयाकार अवस्था भा.मा.स. (IST)  अनुसार प्रात: 9 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी ।

सूर्य ग्रहण की वलयाकार (annular eclipse of the Sun )  अवस्था भा.मा.स. अनुसार  12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी । ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भा.मा.स. अनुसार  13 घं. 36 मि. पर समाप्त होगी ।

सूर्य का वलयाकार ग्रहण (annular eclipse of the Sun )  भूमध्य रेखा के निकट उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगा ।

सूर्य का वलयाकार ग्रहण (annular eclipse of the Sun )  पथ साउदी अरब, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, श्रीलंका के उत्तरी भाग, मलेशिया, सिंगापुर, सुमात्रा एवं बोर्निओ से होकर गुजरेगा ।

चंद्रमा की उपच्छाया से आंशिक ग्रहण होता है जो कि मध्य पूर्व, उत्तर पूर्वी अफ्रीका, उत्तर एवं पूर्वी रूस को छोड़कर एशिया, उत्तर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, सोलोमन द्वीप के क्षेत्रों में दिखाई देगा ।

अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा । यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा । वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा । देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा ।

सूर्य ग्रहण किसी अमावस्या के दिन घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तथा उस समय ये तीनों एक ही सीध में रहते हैं ।

वलयाकार सूर्य ग्रहण(annular Solar eclipse)  तब घटित होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य की अपेक्षा छोटा होता है जिसके फलस्वरूप वह सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है । परिणामत: चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला ही दिखाई देता है ।

ग्रहणग्रस्त सूर्य को थोड़ी देर के लिए भी नंगी आँखों से नहीं देखा जाना  चाहिए ।

चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढक दे तब भी इसे खाली आँखों से न देखें क्योंकि यह आँखों को स्थाई नुकसान पहुँचा सकता है जिससे अंधापन हो सकता है ।

सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) को देखने की सबसे सही तकनीक है ऐलुमिनी माइलर, काले पॉलिमर, 14 नं. शेड के झलाईदार काँच जैसे उपयुक्त फिल्टर का उपयोग करना ।