नई दिल्ली, 12 अगस्त | फिल्मकार अनुराग बसु का कहना है कि भारतीय दर्शकों को हॉलीवुड फिल्मों और पश्चिमी टीवी शो की तरफ बढ़ती रुचि के लिए दोष नहीं दिया जाना चाहिए। जब तक देश में मनोरंजन उद्योग में नए प्रयोग नहीं किए जाएंगे, लोग विदेशी चैनलों की तरफ रुख करेंगे ही।
एक निर्देशक के तौर पर बसु की साख ‘मर्डर’, ‘गैंगेस्टर’, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ और ‘बर्फी’ जैसी कई तरह की फिल्में बनाने की रही है।
उनका मानना है कि सभी हिंदी फिल्मों में संगीत और नृत्य के अनुक्रम के आधार पर सफलता नहीं हासिल हो सकती। उन्होंने कहा कि ये सभी के लिए जरूरी है कि शास्त्रीय संगीत और नृत्य को बनाए रखने के लिए फिल्मों में शामिल किया जाए।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन में ‘सुपर डांसर’ में निर्णायक की भूमिका में रहने वाले बसु ने कहा, “मैं लंबे समय से फिल्म बना रहा हूं और मेरे फिल्म में नृत्य नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने अच्छा व्यापार किया है। लोग फिल्मों में नृत्य देखना पसंद करते हैं, लेकिन बहुत से लोग इसे सही तौर पर नहीं लेते।”
भारतीय फिल्मों और टी शो में नृत्य के प्रकारों के प्रोत्साहन पर जो देते हुए 42 साल के वसु ने कहा, “बालीवुड के नृत्य के तरीके ने विश्व स्तर पर पहचान पाई है, हम अपने शास्त्रीय नृत्य के प्रकारों की उपेक्षा कर रहे हैं।”
बसु ने कहा, “यही कारण है कि यह संदर्भ से बाहर हो गया है। एक समय था जब सरोज खान कथक और कुछ दूसरे शास्त्रीय नृत्य को जोड़कर फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी करती थीं। वह युग अब खत्म हो गया है।”
उन्होंने कहा कि जब तक नए प्रयोग नहीं किए जाएंगे, दर्शकों की रुचि पश्चिम की ओर जरूर जाएगी। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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