रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नौसेना कमांडरों को जानकारी दी कि हाल में सम्पन्न हुए एडीएमएम प्लस ने आसियान देशों को भारत के साथ नौसेना के युद्धाभ्यास करने के तौर-तरीकों ने बहुत प्रभावित किया है।
चार दिवसीय नौसेना कमांडरों का सम्मेलन 27 अक्टूबर, 2017 को समाप्त होगया। सम्मेलन में नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने पिछले 6 महीनों के दौरान होने वाले प्रमुख अभियानों, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों का जायजा लिया गया।
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की और नौसेना की युद्ध की तैयारी का जायजा लिया।
सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारी भी उपस्थित थे।
सीतारमण ने नौसेना के आधुनिकीकरण और साजो-सामान तथा ढांचागत आवश्यकताओं की पूर्ति में होने वाली प्रगति पर भी विचार किया।
उन्होंने भारतीय नौसेना की प्रशंसा की कि वह देश की सुरक्षा और ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों के संबंध में शानदार काम कर रही है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह गौरव की बात है कि सभी निर्माणाधीन 34 युद्धपोत भारत में ही बनाए जा रहे हैं। उन्होंने ‘मालाबार 17’ त्रिपक्षीय युद्धाभ्यास का सफल आयोजन करने के लिए नौसेना की तारीफ की।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए एडमिरल सुनील लांबा, सीएनएस ने नौसेना कमांडरों को संबोधित किया।
उन्होंने चार प्रमुख क्षेत्रों पर बल दिया, जिनमें ‘संघर्ष की क्षमता और योग्यता’, ‘प्रमुख व्यावसायिक दायित्वों की प्राथमिकता सुनिश्चित करना’, ‘प्रेरित, प्रशिक्षित और प्रतिबद्ध दल’ तथा ‘हितार्थ समुद्री क्षेत्रों से नौसेना का परिचय’ शामिल हैं।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भी नौसेना कमांडरों के साथ विचार-विमर्श किया और ‘मेक इन इंडिया’ के संबंध में अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि भारत में ठोस रक्षा औद्योगिक आधार तैयार हो रहा है, जिससे भारतीय निर्माता क्षेत्र का विकास होगा और भारत निर्यात करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होगा।
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