भारत पुरातात्विक सर्वेक्षण ने दिल्ली की एक मस्जिद से सफाई के दौरान पांच सौ साल पुराने तांबे के सिक्कों का खजाना खोजा हैं।
भारत पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई ) दिल्ली सर्किल ने खिड़की मस्जिद के परिसर से तांबे के 254 सिक्कों का खजाना खोजा है। ये सिक्के शेरशाह सूरी के काल के बताये जारहे हैं।
एएसआई ने खिड़की मस्जिद के संरक्षण के लिए क्षेत्र की सफाई शुरू की थी। सफाई के दौरान उसे मस्जिद के प्रवेशद्वार के निकट मध्यकालीन भारत के 254 तांबे के सिक्कों का खजाना मिला।
शेरशाह सूरी का जन्म बिहार के सासाराम में सन्1473 को हुआ था और उसकी मृत्यु 22 मई 1545 को कालिंजर के किले में हुई।
कहा जासकता है कि ये सिक्के लगभग पांच सौ साल पुराने हैं।
सूरी का भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में साम्राज्य था और दिल्ली इसकी राजधानी थी।
उस समय मस्जिद के संरक्षण का काम चल रहा था। यह मस्जिद खिड़की गांव के दक्षिणी छोर पर स्थित है।
मस्जिद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक (1351-88) के प्रधानमंत्री खान-ए-जहान जुनान शाह ने करवाया था।
माना जाता है कि यह मस्जिद उनके द्वारा निर्मित 7 मस्जिदों में से एक है।
पुरातत्वशास्त्रियों का एक दल, संरक्षण सहायक और फोटोग्राफर तुरंत स्थल पर पहुंचे तथा सिक्कों को अपने कब्जे में लिया।
एएसआई की विज्ञानशाखा के विशेषज्ञों ने कुछ सिक्कों को साफ किया। प्रारंभिक जांच के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये सिक्के शेरशाह सूरी और उनके उत्तराधिकारियों के शासन के हैं।
उल्लेखनीय है कि 2003 में भी इसी परिसर की सफाई और संरक्षण के दौरान 63 सिक्के मिले थे।
दिल्ली सर्किल ने पुरातत्वशास्त्रियों की तकनीकी देखरेख में क्षेत्र की वैज्ञानिक सफाई शुरू कर दी है।
सिक्कों को साफ करने के बाद विशेषज्ञों की मदद से उन पर लिखी इबारत को पढ़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
खिड़की मस्जिद खुरदरे पत्थरों से बनी 2 मंजिला इमारत है।
निचली मंजिल पर कई छोटी-छोटी कोठरियां बनी हुई हैं। चारों कोनों पर खंबे हैं, जिनसे यह इमारत बहुत मजबूत प्रतीत होती है।
पश्चिम दिशा को छोड़कर मस्जिद में तीन दरवाजे हैं और चारों तरफ मीनारें बनी हुई हैं।
मुख्य दरवाजा पूर्व की दिशा में खुलता है। ऊपरी मंजिल पर झिर्रीदार खिड़कियां बनी हैं, जिसके कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा है।
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