बृजेन्द्र रेही द्वारा संकलित-संपादित पुस्तक ‘अटल जी ने कहा’ का लोकार्पण
भारतरत्न अटल जी के देहांत से पूर्व लिखे अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मानव सेवा क्या है, समाज सेवा किसे कहते हैं? राष्ट्र की सेवा क्या होती है, उसके लिए त्याग, तपस्या और परिश्रम करने का महात्म्य क्या है, यह सब कुछ उनके निःस्वार्थ जीवन यात्रा के बारे में जानकर अनुभव किया जा सकता है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि वाजपेयी जी के चुनिंदा भाषणों का संकलन इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों तक पहुंच रहा है। उनके भाषणों को पढ़कर लोग विभिन्न विषयों पर उनके स्पष्ट, सटीक और दूरदर्शी सोच से अवगत होंगे।
पुस्तक में संकलित भाषणों में देश के युवाओं, महिलाओं वह बच्चों के लिए उनका विशेष लगाव स्पष्ट तौर पर झलकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच दशक से भी अधिक समय के अपने राजनीतिक जीवन में जिस प्रकार उन्होंने निर्विवाद रूप से सबके दिलों में जगह बनाई वह एक आदर्श है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1951 में जनसंघ के निर्माण से लेकर 2007 में राजनीति से सन्यास लेने तक उनका पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित एक जननायक का स्वर्णिम दस्तावेज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन के दुरूह दायित्वों को निभाने के क्रम में उनके सामने कठिनाइयां चाहे कितनी भी क्यों न आई हों, लेकिन अपने नाम के अनुरूप वह सदा ही अटल बने रहे और राष्ट्र हित के अपने लक्ष्य की ओर दृढ़तापूर्वक बढ़ते गए।
‘दर्पण प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित ‘अटल जी ने कहा’ पुस्तक 320 पृष्ठों की है और इसमें प्रधान मंत्री के रूप में दिये गए वाजपेयी जी के भाषण संकलित किये गए हैं। पुस्तक में 16 पृष्ठ रंगीन हैं और 130 फोटोग्राफ्स भी हैं।
लोकार्पण कार्यक्रम में प्रधान मंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बृजेन्द्र रेही ने कहा कि पुस्तक में संकलित भाषण, केवल भाषण नहीं है बल्कि देश के महान राजनीतिक चिंतक और विचारक के दिशा-निर्देश भी हैं, जिन्हें पढ़-समझकर युवा पीढ़ी के राजनीतिज्ञ और देश के निर्माण में लगे नागरिक मार्गदर्शन लेे सकते हैं तथा खुशहाल और समृद्ध भारत का निर्माण अधिक क्षमता से कर सकते हैं।
समारोह में वरिष्ठ विचारक, पत्रकार, राज्यों के सूचना अधिकारी और विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे।