Atal Ji Ne kaha book civer

‘अटल जी ने कहा’ पुस्तक का लोकार्पण 20 अगस्त को

आगामी 20 अगस्त को वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और टीवी निर्माता निर्देशक बृजेन्द्र रेही द्वारा संकलित-संपादित ‘अटल जी ने कहा’ पुस्तक का लोकार्पण किया जा रहा है।

हाल ही प्रकाशित इस पुस्तक के लिए दिये गए संदेश में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधान मंत्री स्व.  अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कहा है ‘सार्वजनिक जीवन में उन्होंने सबको साथ लेकर चलने की नीति अपनाई, इसलिए वे अपने राजनीतिक विरोधियों और विश्व भर के नेताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय और सम्माननीय रहे हैं।’

सक्रीय पत्रकारिता के दौरान  रेही ने अटल जी के अनेक साक्षात्कार विभिन्न समाचार पत्रों के साथ काम करते हुए लिए थे। उनके कुछ चुने हुए साक्षात्कार एक अन्य पुस्तक ‘35 साल पहले’ में  प्रकाशित हैं।

पुस्तक ‘35 साल पहले’ में  प्रकाशित साक्षात्कार के दौरान जब अटल जी से पूछा गया कि भाजपा हिन्दूवाद तथा धर्मनिरपेक्षता से किस तरह जुड़ी रहेगी?

अटल जी ने कहा -मैं हिन्दू हूं, यह गर्व का विषय है, किन्तु मेरा हिन्दू होना मुझे अन्य धर्मावलंबियों के साथ मिलकर रहने और समान राष्ट्रीयता, समान नागरिकता में भागीदार बनने से नहीं रोक सकता।

भारत एक प्राचीन राष्ट्र है। इसका जन्म 1947 में नहीं हुआ। बस स्वतंत्रता की प्राप्ति के साथ एक नए अध्याय का श्रीगणेष अवश्य हुआ है। यहां मज़हब के आधार पर ही शासन नहीं चला है। यहां इस्लाम धर्म पहले आया और उसे आदर का स्थान दिया गया। ईसाई मत अंग्रेज राज से पहले भारत में प्रविष्ट हुआ। उन्हें यहां प्रचार-प्रसार की सुविधा दी गई। यहां का राज हमेशा से संप्रदाय निरपेक्ष रहा है। मान लीजिए अगर यहां मुसलमान, ईसाई आदि नहीं होते तो हिन्दू होते। तब भी राज्य का स्वरूप असांप्रदायिक होता। इसलिए कि हिन्दू समाज में ही इतनी उपासना पद्धतियां हैं कि राज किसी एक पद्धति से जुड़कर नहीं रह सकता। सर्वधर्म समभाव, यहां का, हमारे देश का आदर्श रहा है।