बेंगलुरू, 10 सितम्बर। देश में अन्य सैन्य ठिकानों के पास पठानकोट जैसे हमले दोबारा हो सकते हैं। अगर हम बड़े हथियार आयात नहीं करेंगे तो हम छोटे और कम क्षमता वाले हथियारों के साथ दुश्मनों के सामने टिक नहीं पाएंगे। हमें युद्ध जीतने के लिए मजबूत और शक्तिशाली हथियार खरीदने की जरूरत है।
भारतीय वायुसेना प्रमुख बी.एस. धनोआ ने शनिवार को दिवंगत एयर चीफ मार्शल, एल. एम. कात्रे की याद में यहां आयोजित वार्षिक व्याख्यान में कहा कि पठानकोट में जैसा हुआ था, सेना पर वैसे ही हमले आगे भी हो सकते हैं। वे लोग हमें नई जगहों पर हमला कर चौंका सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हम अब कम समय में मिली सूचना पर भी संघर्ष के लिए तैयार हैं।”
सीमापार से आए आतंकवादियों ने पठानकोट वायुसेना अड्डे पर दो जनवरी, 2016 को हमला कर दिया था, जिसमें सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और 10 आतंकवादी मारे गए थे।
एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ ने कहा कि पठानकोट हमले के बाद वायुसेना ने लगातार अपनी सुरक्षा क्षमता बढ़ाई है और ऐसे किसी भी फिदायीन हमले से निपटने के लिए सघन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
धनोआ ने कहा कि उत्तरी सीमा पर वास्तविक सीमा रेखा के बारे में भारत और चीनी की सोच अलग है। इसकी वजह से वहां संघर्ष की स्थिति पैदा होती है। डोकलाम संघर्ष पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तविक सीमा रेखा के कम से कम 10 किलोमीटर के दायरे में वायु क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि हालांकि चीन तिब्बत के पास लगातार अपनी हवाई उपस्थिति बढ़ाता रहता है और अपनी ताकत में वृद्धि करता रहता है।
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