बिहार में ‘कट्टे’ की जगह गरज रहे एके-47

पटना, 29 जनवरी | बिहार के अपराधियों ने अब कट्टे की जगह अत्याधुनिक एके-47 जैसी राइफलें थाम ली हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान राज्य में घटी हत्या की घटनाएं इस बात की हकीकत बयां कर रही हैं। पुलिस विभाग हालांकि अपराधियों के बीच बढ़ते इस ट्रेंड को खतरनाक बताते हुए सतर्क भी है।

इस वर्ष 18 जनवरी को पूर्वी चंपारण जिले के पकड़ीदयाल थाना क्षेत्र में अपराधियों ने शाम ढलते ही एके 47 से एक कारोबारी के प्रतिष्ठान पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसमें दो कारोबारियों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी।

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में ही पिछले साल अगस्त महीने में अपराधियों ने पकड़ीदयाल प्रखंड मत्स्यजीवी सहयोग समिति अध्यक्ष भिखारी सहनी के घर पर हमलाकर सहनी सहित चार लोगों की हत्या कर दी थी। कहा जाता है कि इस घटना में भी अपराधियों ने एके-47 का ही इस्तेमाल किया था।

इसके पहले दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या और फिर राजधानी से सटे कच्ची दरगाह इलाके में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता बाहुबली बृजनाथी सिंह पर सरेआम एके-47 से गोलियों की बौछार कर हत्या कर देने के मामले इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्थानीय अपराधियों के हाथ में एके-47 जैसे घातक हथियार पहुंच चुके हैं।

पूर्वी चंपारण जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा आईएएनएस को कहते हैं कि 18 जनवरी को दो व्यवसायी सहित तीन लोगों की हत्या के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और जल्द ही हथियार के विषय में भी पुख्ता जानकारी मिल जाएगी।

उन्होंने बताया, “दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या मामले में जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि इस हमले में जिस एके-47 का इस्तेमाल किया गया था वह भाड़े (किराए) पर उपलब्ध कराई गई थी। ये हथियार बड़े अपराधी गिरोह छोटे अपराधी को उपलब्ध कराते हैं।”

दरभंगा के पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान राणा ने दोहरे इंजीनियर हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार बरामद किया था।

गौरतलब है कि बिहार का मुंगेर क्षेत्र अवैध हथियार बनाने के लिए पूरे देश में चर्चित है।

पुलिस के एक अधिकारी नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हैं कि 2.5 लाख में देसी एके-47 उपलब्ध हो जा रहे हैं। इस बात का खुलासा हाल ही में उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार अपराधी से पूछताछ के दौरान हुआ है।

कहा जाता है कि एके-47 को चलाना बेहद आसान है। इसे ‘ले मैन’ का हथियार कहा जाता है। कट्टा और बंदूक को चलाने के लिए जहां प्रशिक्षण की जरूरत होती है, वहीं, एके-47 को हर वह शख्स चला सकता है जो इसे उठा सके।

पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि एके-47 अपने आप में दहशत का पर्याय है। अपराधी इसे ‘स्टेटस सिंबल’ के रूप में लेते हैं। जिस अपराधी गिरोह के पास एके 47 होता है उसका रुतबा बढ़ जाता है।

राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध जांच विभाग) विनय कुमार कहते हैं, “ऐसा कोई अध्ययन पुलिस विभाग द्वारा नहीं कराई गई है, परंतु अगर ऐसा है तो यह गंभीर चिंता का विषय है।”

उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अपराधी एके-47 नक्सली, अंतर्राष्ट्रीय अपराधी गिरोह और आतंकी संगठन से हासिल करते हो सकते हैं। पुरुलिया में एके-47 के गिराए जाने की घटना के बाद कई संगठनों तक एके-47 की पहुंच हो गई थी।

–आईएएनस