नई दिल्ली, 18 नवंबर | बैंकों और एटीएम के सामने शुक्रवार को भी लोगों की लंबी कतारें देखने को मिली। सरकार द्वारा उच्च मूल्य के नोट बंद किए जाने के बाद लोग रोजमर्रा के खर्च के लिए नकदी हासिल करने लगातार नौवें दिन संघर्ष करते रहे। लोग सुबह से ही बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने अमान्य नोटों को बदलने या नकदी हासिल करने के लिए खड़े दिखाई दिए।
लोगों ने ज्यादा देर तक इंतजार करने को लेकर निराशा जाहिर की। इनमें से कई लोगों ने अपने पूर्व प्रयासों में टेलर मशीनों के काम नहीं करने से नकदी नहीं मिल पाने पर अपनी नाराजगी जताई। इसमें मेट्रो स्टेशनों के अंदर लगे एटीएम भी शामिल हैं, जिनमें या तो नकदी नहीं है या उनमें तकनीकी दिक्कतें हैं।
पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार निवासी प्राची अग्रवाल ने कहा कि वह कालेधन और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के इस कदम का समर्थन करती हैं, लेकिन सरकार को नए नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना चाहिए था।
अग्रवाल ने कहा कि 500 और 2000 रुपये के नोट अभी भी बड़े स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं। इसकी मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है। पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने से यह समस्या पैदा हुई है, जो प्रचलित भारतीय मुद्रा का 86 प्रतिशत थे।
एक्सिस बैंक के एटीएम के सामने लंबी लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहे एचसीएल के एक कर्मचारी ने कहा कि उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
कर्मचारी ने कहा, “मैं यहां बीते दो घंटे से कुछ नकदी निकालने के लिए इंतजार कर रहा हूं। मेरे पास सिर्फ 30 रुपये हैं।”
अर्नस्ट एंड यंग की एक कर्मचारी श्रुति सोलंकी ने कहा, “मैंने हफ्ते भर पहले 1500 रुपये के पुराने नोट बदले थे। वहीं मेरे पास थे। एक हफ्ते के बाद मेरे पास कोई राशि नहीं है। मुझे बहुत सारे खर्चो का बंदोबस्त करना पड़ता है, क्योंकि मुझे दिल्ली से गुरुग्राम अपने कार्यालय रोज जाना होता है।”
लाजपत नगर में एक एटीएम के बाहर खड़े 25 साल के युवक ने कहा, “यहां पहले ही दो घंटे बीत चुके हैं। मुझे नहीं पता कि यहां और कितना समय लगेगा, मेरे आगे करीब 30 लोग लाइन में इंतजार कर रहे हैं।”
–आईएएनएस
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