शिमला, 2 अगस्त (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ एक आपराधिक मामला खारिज कर दिया। अनुराग पर धर्मशाला स्टेडियम के निर्माण के लिए भूमि अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था।
उच्च न्यायालय ने धर्मशाला के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा अनुराग के खिलाफ दाखिल आरोप-पत्र को भी रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि राज्य के अतिरिक्त प्रधान सचिव (गृह) द्वारा हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) को दिया गया जवाब ‘अस्पष्ट और अधूरा’ है।
न्यायालय ने कहा, “अगर इस मामले पर सुनवाई जारी रखने को मंजूरी दी जाती तो यह अदालती कार्यवाही का दुरुपयोग होता और इससे न्याय नहीं दिया जा सकता। अदालत के समक्ष पेश की गई प्राथमिकी और चालान में अपराध होने को स्पष्ट नहीं किया गया है।”
अदालत ने आगे कहा, “प्राथमिकी को अगर स्वीकार कर भी लिया जाए तो इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अपराध कब किया गया। प्राथमिकी में अस्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2013 में अतिक्रमण हुआ। इसमें यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि भूमि पर अतिक्रमण करने के बाद वे क्या अपराध करना चाहते थे।”
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एचपीसीए को स्टेडियम बनाने के लिए 49,118.25 वर्ग मीटर भूमि पट्टे पर दी है, जहां आज धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बना हुआ है।शिमला, 2 अगस्त (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ एक आपराधिक मामला खारिज कर दिया। अनुराग पर धर्मशाला स्टेडियम के निर्माण के लिए भूमि अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था।
उच्च न्यायालय ने धर्मशाला के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा अनुराग के खिलाफ दाखिल आरोप-पत्र को भी रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि राज्य के अतिरिक्त प्रधान सचिव (गृह) द्वारा हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) को दिया गया जवाब ‘अस्पष्ट और अधूरा’ है।
न्यायालय ने कहा, “अगर इस मामले पर सुनवाई जारी रखने को मंजूरी दी जाती तो यह अदालती कार्यवाही का दुरुपयोग होता और इससे न्याय नहीं दिया जा सकता। अदालत के समक्ष पेश की गई प्राथमिकी और चालान में अपराध होने को स्पष्ट नहीं किया गया है।”
अदालत ने आगे कहा, “प्राथमिकी को अगर स्वीकार कर भी लिया जाए तो इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अपराध कब किया गया। प्राथमिकी में अस्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2013 में अतिक्रमण हुआ। इसमें यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि भूमि पर अतिक्रमण करने के बाद वे क्या अपराध करना चाहते थे।”
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एचपीसीए को स्टेडियम बनाने के लिए 49,118.25 वर्ग मीटर भूमि पट्टे पर दी है, जहां आज धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बना हुआ है। –आईएएनएस
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