नीमच जिले के बासनिया गाँव के किसान भागीरथ नागदा की गिनती समृद्ध और लखपति किसानों में की जाती है। भागीरथ को यह समृद्धि केंचुआ खाद उत्पादन से मिली है। सालाना एक हजार बैग केंचुआ खाद के कारोबार से किसान भागीरथ ढाई से तीन लाख रुपये तक आमदनी प्राप्त करते हैं। खेती से मिल रही आय अलग है।
कृषक भागीरथ ने अपने खेतों में रासायनिक खाद का उपयोग बंद कर जैविक खेती की प्रक्रिया अपनायी है। इससे उत्पादन में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई, फसल की गुणवत्ता बेहतर हुई। भागीरथ केंचुआ खाद में देसी गाय के गोबर का उपयोग करते है। इसके अतिरिक्त अन्य किसानों को खाद बनाने के लिये 500 रुपये किलो के मान से केंचुए और उसके अण्डे बेचते भी हैं।
भागीरथ ने भी पहले कुछ वर्षों तक अपने खेत में यूरिया का ही उपयोग किया, लेकिन जबसे घर पर केंचुआ खाद बनाकर फसल में उसका उपयोग शुरू किया तो कम लागत में अच्छा उत्पादन होने लगा। अब अपने खेत पर ही 800 वर्ग फीट क्षेत्र में केंचुआ खाद (वर्मिंग कम्पोस्ट खाद) बना रहे हैं। घर पर ही केंचुआ खाद निर्माण का लघु उद्योग स्थापित कर लिया है। खेत पर भी प्रति माह लगभग 200 बोरे वार्मिंग कम्पोस्ट खाद तैयार करते हैं। खाद को बोरों में भरकर ठण्डी जगह पर रखते हैं। लहसुन आदि की खेती में सबसे अधिक केंचुआ खाद का उपयोग होने से कृषक भागीरथ द्वारा तैयार केंचुआ खाद की माँग हमेशा बनी रहती है।
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