पटना, 29 जुलाई| बिहार में बाढ़ की त्रासदी झेल रहे विभिन्न जिलों में हालात और भी खराब हो गए हैं। कुछ जगहों पर नदियों के जलस्तर में भले ही थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन बाढ़ से लोग त्रस्त हैं। अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है। सवा लाख से अधिक लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से राहत कार्य चलाए जा रहे हैं और क्षेत्र में अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
फोटो: बिहार में आई बाढ़ से कटिहार जिले का एक जलमग्न गांव। (फोटो: आईएएनएस)
राज्य के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, दरभंगा, मधेपुरा, भागलपुर, कटिहार और सुपौल के साथ सहरसा और गोपालगंज जिले भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। विभिन्न नदियों के तटबंधों के कई जगहों पर क्षतिग्रस्त होने से राज्य के कई जिलों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़ से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 10 हजार से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की प्रमुख नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जबकि वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है।
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता विवेक मंडल ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि दोपहर 12 बजे वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 1.92 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया,जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर 2.27 लाख क्यूसेक था। गंडक नदी के जलस्तर में वृद्घि दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि बागमती नदी ढेंग व बेनीबाद में, कमला बलान नदी झंझारपुर में, महानंदा नदी झावा में खतरे के निशान को उपर बह रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यहां कहा कि बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति का कारण वर्षा नहीं, बल्कि नेपाल का पानी है।
नीतीश ने कहा, “कल (गुरुवारो) मैंने खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था। राज्य में करीब 20 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।”
उन्होंने कहा कि अधिकरियों को बाढ़ प्रभावित लोगों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि बाढ़ से राज्य के 49 प्रखंडों की 18 लाख आबादी प्रभावित है। गंभीर रूप से बाढ़ प्रभावित जिलों की संख्या 10 हो गई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए 357 राहत शिविरों में 1.36 लाख लोग शरण लिए हुए हैं। बाढ़ से घिरे लोगों को बाहर निकालने के लिए 800 नावों की सेवाएं ली जा रही हैं।
इस बीच, बिहार-नेपाल सीमा पर सुपौल जिले के कुनौली में क्षतिग्रस्त सीमा सुरक्षा बांध की मरम्मत कार्य का नेपाली नागरिकों ने विरोध किया, जिसके कारण बांध की मरम्मत रोक दी गई। इससे विभिन्न प्रखंडों में बाढ़ से हालत और बदतर होने की आशंका बढ़ गई है।
कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया एवं अररिया जिले में हालात बिगड़ने की सूचना पर एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ के अतिरिक्त जवान भेजे गए हैं। सुपौल, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा में एनडीआरएफ की अलग-अलग टीमें तैनात की गई हैं। –आईएएनएस
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