कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का केन्द्र सरकार पर आरोप है कि भाजपा सरकार सामान्य नागरिकों की जेब जबरन कतरने और वैध तरीके से लूटने पर अमादा’ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि एक तरफ सरकार हर रोज नए कर ईजाद करती रहती है वहीं दूसरी और विकास के नाम पर जरुरतमंद लोगों की ही सब्सिडी खत्म करती जा रही है और साधारण करदाता हर रोज इसका शिकार होता है। हाँ अगर कहीं विकास या वृद्धि देखने को मिलती है तो वो है- बढ़ती कीमतों में, महंगे डिजिटल भारत के प्रचार अभियान में, बैंकों द्वारा खाताधारकों पर लगाए जा रहे मनमाने बैंक चार्ज में। गंभीर चिंता के साथ, एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में लोगों की आवाज़ बनकर हमारा यह प्रयास है -भाजपा सरकार को सच का आईना दिखाने का और उन्हें समस्याओं से अवगत कराने का।
कांग्रेस के सिलसिलेवार अरोप इस प्रकार हैं जो उसने शनिवार को लगाए हैं :
1. बैंकिंग
सरकार ने बैंकों में ग्राहकों के दिन-प्रतिदिन के लेन-देन पर अंकुश लगाते हुए कई अतिरिक्त शुल्क लगाए हैं। इससे सामान्य नागरिकों पर एक अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है, जो पहले ही नोटबंदी के दौरान काफी परेशानी झेल चुका है। इस समय देश में करीब 144 करोड़ बैंक खाते हैं (आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 2015)
(I) न्यूनतम राशि अनिवार्य
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित सभी राष्ट्रीयकृत बैंक आज से (1 अप्रैल, 2017) खातों में न्यूनतम शेष राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाना शुरू कर देंगे, जो कि मेट्रोसिटी खाताधारकों के लिए 5,000 रुपये निर्धारित किया गया है।
बैंक, बचत खाताधारकों को एक महीने में तीन बार नि:शुल्क जमा की सुविधा देगा। इसके बाद हर जमा पर 50 रुपये और सर्विस टैक्स अतिरिक्त कर के रुप में लिया जाएगा। मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में अगर न्यूनतम अकाउंट बैलेंस (MAB) 75 प्रतिशत से कम होता है तो इसके लिए 100 रुपये चार्ज के साथ सर्विस टैक्स फाईन के रुप में देना होगा। वहीं यदि MAB 50 प्रतिशत या उससे कम है तो बैंक 50 रुपये के साथ सर्विस टैक्स चार्ज करेगा।
चालू खाते के मामले में कर 20,000 रूपए के बराबर या उससे अधिक हो सकता है।
(II) जमा राशि
निजी बैंकों ने तो 1 मार्च, 2017 से ही नए नकद लेन-देन कानून लागू कर दिया था। अब देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई ने भी अप्रैल 1, 2017 वही निजी बैंकों वाले नियम कानून अपना लिया है। एसबीआई बचत खाते धारकों के लिए प्रतिमाह 3 बार नकद जमा की अनुमति है। इससे अधिक लेनदेन पर सीमा 50 रुपए जुर्माना + सर्विस टैक्स अलग से देना अनिवार्य होगा।
सरकार ने 2 लाख से अधिक नकद भुगतान पर प्रतिबंध लगा दिया है और यदि किसी ने 1 अप्रैल, 2017 से इस नियम का उल्लंघन किया तो उसे दंडित भी किया जाएगा।
(Iii) निकासी और एटीएम लेनदेन
एटीएम से एक महीने में 3 बार से अधिक नकदी निकासी पर 20 रुपए शुल्क लगेगा और यदि यह निकासी एसबीआई एटीएम से पांच से अधिक बार किया जाता है तो 10 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।
2. स्वास्थ्य बीमा और वाहन बीमा
बीजेपी सरकार ने करोड़ों लोगों को गहरा आघात पहुंचाया है, जो भविष्य में अपनी बीमारियों के ईलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा कराते हैं। बीमा नियामक आईआरडीएआई (IRDAI) ने सामान्य बीमा कंपनियों के बिमा एजेंटों को अधिक कमीशन देने का मन बनाया है, जिससे बिमा धारकों को ज्यादा प्रिमियम देना पड़ेगा।
एक और अप्रिय निर्णय से भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI), जो भारत में बीमा संबंधी मामलों के लिए सर्वोच्च नियामक प्राधिकरण है, ने अब कारों, मोटर साइकिलों और वाणिज्यिक वाहनों के लिए बीमा प्रीमियम में 50 प्रतिशत की वृद्धि का निर्णय किया है।
3. टोल कर वृद्धि
अब से अंतर्राज्यीय आवागमन, व्यापार के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले बसों और ट्रकों को टोल टैक्स के रूप में अधिक खर्च करना होगा, क्योंकि कर में व्यापक वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हर आवागमन पर बसों और ट्रकों के मामले में टोल टैक्स 5 से 10 रुपये के दर से बढाया है, वहीं 3 एक्सल वाले वाहनों को 5 रुपये की दर से अतिरिक्त कर देना होगा।
बसों और ट्रकों के आवागमन में इस्तेमाल होने वाले मासिक –पास-शुल्क में आज से 95-100 रुपये की भारी वृद्धि की गई है। आज से मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर टोल 18% बढ़कर, 230 रुपये हो गया है।
4. गरीबों के लिए उपलब्ध PDS दुकानों पर मिलने वाली चीनी से सब्सिडी हटा दी गई।
इस नए साल में, बीजेपी सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली या राशन दुकानों के माध्यम से बेची जाने वाली चीनी से सब्सिडी हटाने का जनता विरोधी फैसला किया है। पहले केंद्र सरकार राशन दुकानों के माध्यम से बिकने वाली चीनी पर 18.30 रुपए की दर से प्रत्येक किलोग्राम चीनी पर सब्सिडी दिया करती थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है। केन्द्र सरकार ने PDS के माध्यम से बिकने वाली चीनी पर दी जाने वाली 4,500 करोड़ की सब्सिडी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इस बारे में उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री राम विलास पासवान ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र भी लिखा, लेकिन इस निवेदन को निष्ठुर सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया।
5. लोक भविष्य निधि दर 40 वर्षों में पहली बार 8 प्रतिशत से नीचे आ गई हैं।
सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही में पीपीएफ, किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धी योजना जैसी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर 0.1 प्रतिशत घटा दी है। सबसे लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक ‘लोक भविष्य निधि पीपीएफ’ पर ब्याज दर 10 से घटाकर अंक से घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया गया है, जो 1 9 80 के बाद से सबसे निम्न स्तर पर है, जिससे करोड़ों भारतीयों और उनके भविष्य की बचत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
6. आयकर परिवर्तन
आयकर नियमों में परिवर्तन जो आपकी खर्च बढ़ाने वाला है।
I) किराए की संपत्ति पर होमलोन ब्याज की सीमा 2 लाख रु पर बांध दी गई है।
यदि आप एक घर खरीदने के लिए योजना बना रहे हैं या आपके पास पहले से ही एक घर है जो आपने किराए पर दिया है जो आपने ऋण से खरीदा है, तो इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में आपके लिए एक बुरी खबर है। ऐसे ऋण पर पहले असीमित Exemption क्लेम कर सकते थे जिसे अब घटाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है।
II) देर से टैक्स रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना-
नए कानून के तहत समय सीमा, 31 जुलाई तक अपनी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने पर दंडित किया जाएगा। वर्ष 2017-18 के लिए टैक्स रिटर्न दाखिल देर से भरने पर 31 दिसंबर 2018 तक 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और इससे अधिक देरी होने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। छोटे करदाताओं, 5 लाख रुपये तक के आय वाले के लिए यह जुर्माना 1,000 रुपये तक सीमित होंगे।
देश की जनता के साथ धोखा और लोगों के साथ विश्वासघात मोदी जी की खासियत है। भाजपा सरकार देश की भोली और लाचार लोगों के साथ अन्याय करने के सभी प्रयास कर रही है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मांग करती है कि भाजपा की इन लोक-विरोधी नीतियों को तत्काल वापस लिया जाए और लोगों की भलाई को ध्यान में रख कर जनप्रिय फैसले किए जाएं।
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