धर्मशाला, 1 नवंबर | भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने मंगलवार को केंद्र सरकार से तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करने का आग्रह किया। यह देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह अपील उन्होंने यहां एक पुस्तक के विमोचन समारोह में की।
‘हिमालय पर लाल छाया’ नाम की इस पुस्तक के विमोचन के बाद कुमार ने कहा कि मानवता की महान सेवा को मान्यता देने के लिए दलाई लामा भारत रत्न के हकदार हैं।
इस पुस्तक को शांता कुमार ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद लिखा था। 50 वर्ष बाद यह किताब पुन: मुद्रित हुई है।
दलाई लामा खुद को भारत का पुत्र बताते हैं। वर्ष 1959 में जब वह हजारों तिब्बतियों के साथ भागने को मजबूर हुए, उसके बाद से 50 साल से अधिक समय भारत में गुजार चुके हैं।
कुमार हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। इस पुस्तक का पहला संस्करण 1965 में आया था।
भाजपा सांसद ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता की बात है।
दलाई लामा ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत इस तथ्य का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि विभिन्न धार्मिक परंपराएं साथ-साथ रह सकती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अपने समृद्ध दार्शनिक विचारों की वजह से महान बना है।
आध्यात्मिक नेता ने कहा कि वह इस राज्य के नागरिक की तरह महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश में 55 वर्ष से अधिक समय से हैं।
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी राजनीतिक शक्तियां वर्ष 2011 में ही छोड़ दीं। मेरी चिंता अब तिब्बती संस्कृति को बचाने की है।”
तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय धर्मशाला में है।
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