नई दिल्ली, 27 जुलाई | नवजोत सिंह सिद्धू को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निकालने की पार्टी की कोई योजना नहीं है। पार्टी मानती है कि सिद्धू आलाकमान के साथ विचार-विमर्श करते तो बेहतर होता, हर समस्या का समाधान होता है। यह कहना है पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू का। उन्होंने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में और भी कई मुद्दों पर चर्चा की।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के सत्ता पर काबिज होते ही राज्य की राजनीति में जो भूचाल आया, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश सहित देशभर में दलितों, महिलाओं से जुड़े मामलों सहित तमाम तरह के मुद्दे छाए हुए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ‘बाल की खाल’ निकालने वाली राजनीति के बारे में जाजू ने कहा, “दिल्ली की जनता ने विकास और बदलाव के नाम पर आम आदमी पार्टी को वोट दिया था, लेकिन वह जनता से किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं कर पाई। इस तरह दिल्ली की जनता स्वयं को ठगा महसूस कर रही है।”
उन्होंने कहा, “केजरीवाल संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वह तो प्रधानमंत्री के खिलाफ भी इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जिनका उनके अनुयायी अनुसरण करते हैं।”
जाजू कहते हैं, “दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों पर अब तक 73 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 11 विधायकों को गिरफ्तार किया गया है, ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ है। इन विधायकों की गिरफ्तारी राजनीतिक कारणों से नहीं हुई है। महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म और धोखाधड़ी की वजह से ये मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से तीन की तो पत्नियों ने ही शिकायत दर्ज कराई है।”
उन्होंने कहा, “हाल ही में दिल्ली में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी का मत प्रतिशत 52 से घटकर 30 पर आ गया है, जो दिखाता है कि पार्टी की विश्वसनीयता कम हो गई है।”
जाजू बोले, “दिल्ली भाजपा का पुराना गढ़ रही है। दिल्ली में सभी सातों सांसद हमारे हैं। तीनों महापौर भी हमारे हैं। कॉर्पोरेशन में भी हमारी ही पार्टी है। केवल विधानसभा चुनाव छोड़कर भाजपा का परचम हर तरफ लहर रहा है।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में हमारा प्रभाव कम नहीं हुआ है। दिल्ली को अंतर्राष्ट्रीय सिटी बनाने पर काम किया जाएगा। दिल्ली के एक हिस्से को स्मार्ट सिटी के तौर पर भी चुना गया है। आगामी एमसीडी चुनाव में हमारा प्रभाव देखने को मिलेगा।”
यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने पर हुए जनमत संग्रह के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी को ‘पूर्णराज्य’ का दर्जा दिए जाने पर भी जनमत संग्रह की बात कही थी। इस पर जाजू ने कहा, “हर देश की राजधानी केंद्र शासित प्रदेश होती है। यहां बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री, सांसद, दूतावासों के अधिकारियों का आवागमन होता है। इनकी सुरक्षा राज्य सरकार की पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकती, इसलिए इनकी सुरक्षा केंद्र सरकार के अधीन रहनी जरूरी है।”
वह कहते हैं, “केजरीवाल सरकार के तहत जो विभाग हैं जैसे पीडब्ल्यूडी, शिक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य उनकी तरफ तो उनका ध्यान नहीं है, लेकिन वह अपने अधिकार से बाहर की चीजों पर नियंत्रण चाहते हैं और इसकी आड़ में मोदी जी को बदनाम कर रहे हैं।”
हाल ही में भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और पार्टी पर पंजाब से दूर रहने को कहने का आरोप लगाते हुए अपना स्पष्टीकरण दिया। उनके इस रुख से राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तो तेज है ही, सभी की आंखें पार्टी की अगली गतिविधि पर लगी है।
हालांकि, जाजू ने पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए बताया, “सिद्धू जमीन से जुड़े नेता हैं। वह लोकप्रिय हैं। यह सब देखकर ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। पार्टी किसी को भी उसके क्षेत्र से बाहर नहीं रखती। मनमुटाव हर पार्टी में होता है। बेहतर होता कि वह पार्टी के साथ इस पर विचार-विमर्श करते। हर समस्या का समाधान होता है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, वह कहते हैं, “सिद्धू को पार्टी से बाहर निकालने की कोई योजना नहीं है।”
भाजपा को उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में उच्च न्यायालय के आदेश से मुंह की खानी पड़ी है। उच्च न्यायालय ने दोनों प्रदेशों में बर्खास्त कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया, जिससे भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा। जाजू कहते हैं, “उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गई थी। उन्होंने हाल फिलहाल में जो बजट पारित किया है, उसके पक्ष में 33 वोट पड़े हैं। 70 में से 33 वोट मतलब बाकी इसके विरोध में हैं। जो सरकार अपना बजट पारित नहीं कर सकती उसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। उस दिन बजट पारित नहीं हुआ था, इसलिए इसे इस बार पारित करना पड़ा। तो ऐसे में सरकार बची क्यों है। संविधान के तहत इस स्थिति में सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार ही नहीं है।”
वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में भाजपा उत्तराखंड में सरकार बनाएगी।
उन्होंने कांग्रेस की बदहाली के लिए उसकी निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “जिस पार्टी का पहले वर्चस्व हुआ करता था, अब वह कुछेक राज्यों में सिमट कर रह गई है। कर्नाटक को छोड़कर उसके पास कोई बड़ा राज्य नहीं है। कांग्रेस की छह प्रतिशत और भाजपा की 46 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र उपस्थिति है। कांग्रेस की इसी निष्क्रियता की वजह से कई प्रादेशिक पार्टियां आगे आ गई हैं।”
दिल्ली में भाजपा का कोई चेहरा नहीं होना पार्टी को कितना प्रभावित करेगा, इस पर उन्होंने बताया कि यह पार्टी की रणनीति होती है कि वह चुनाव से पहले या चुनाव के बाद अपने उम्मीदवार की घोषणा करें। पार्टी उचित समय पर ही अपने पत्ते खोलेगी।
उन्होंने कहा, “दयाशंकर की मंशा जो भी रही हो उनके बयान की हम निंदा करते हैं और पार्टी इसे सहन नहीं कर सकती। पार्टी दलितों और महिलाओं का सम्मान करती है। कांग्रेस ने वर्षो तक दलित वोट बैंक का इस्तेमाल किया, लेकिन भाजपा हमेशा से ही उसे मुख्यधारा से जोड़ना चाहती है। यही वजह है कि देश में सबसे ज्यादा दलित सांसद और विधायक भाजपा पार्टी में ही हैं।”
बाबा भीमराव अंबेडकर के पांच स्मारकों, महू (जन्मस्थान), चैत्यभूमि (अंतिम संस्कार), अलीपुर रोड (दिल्ली का निवास स्थान), लंदन और नागपुर (दीक्षा स्थान) इन पांचों स्थानों को प्रेरणा स्थान के रूप में विकसित कर रही है।
भाजपा विकास के एजेंडे पर काम कर रही है और यही उसकी प्राथमिकता है। आगामी चुनावों में इसी एजेंडे के साथ भाजपा एक बार फिर जनता के बीच होगी। –रीतू तोमर
Follow @JansamacharNews